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14.11.20

एम्स ऋषिकेश में आउटसोर्सिंग एक बड़ा खेल

एम्स ऋषिकेश में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कितना बड़ा खेल चल रहा है यह तो सभी को पता है लेकिन आउटसोर्सिंग के द्वारा की जा रही भर्तियां व आउटसोर्स कंपनियों को दिया जा रहा लाभ कब रुकेगा?


आपको बताना चाहूंगा की सरकारी संस्थान की रिक्तियां संस्थान की वेबसाइट या पत्राचार के द्वारा विज्ञप्ति प्रकाशित करने के बाद की जाती हैं जोकि निदेशक रवि कांत जी के कार्यकाल से यह देखने को नहीं मिला है, जबकि पहले आउटसोर्सिंग के माध्यम से एम्स ऋषिकेश मौखिक परीक्षा के द्वारा उम्मीदवारों का चयन किया करता था लेकिन अब आउटसोर्सिंग कंपनी उम्मीदवार को सीधा नियुक्ति पत्र देकर एम्स ऋषिकेश में कार्य करने की अनुमति दे देती है I  आउटसोर्सिंग कंपनियां RTI के अंतर्गत ना आकर कंपनी और एम्स ऋषिकेश दोनों ही इन पर जवाब देने से बच जाते हैं I आज सभी मानकों की अवमानना करके अंदर ही अंदर आउटसोर्सिंग का बड़ा खेल चल रहा है I

निदेशक रविकांत जी के कार्यकाल में जितने भी टेंडर नियुक्तियों के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियों को दिए गए उन सभी में आरोप लगे हैं और आरोपों के आधार पर इन कंपनियों का टेंडर समाप्त किया गया I

1. AA foundation  कंपनी जिसने कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड गबन करके दो से तीन करोड़ का घोटाला किया गया जिस पर एम्स ऋषिकेश के द्वारा इस कंपनी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई केवल उसका टेंडर समाप्त किया गया, इस घोटाले में कंपनी का साथ देने के लिए एम्स ऋषिकेश पर भी संदेह बनता है I

2. कोर कंपनी जिसे नरसिंह कर्मचारियों की नियुक्ति कराने का टेंडर मिला लेकिन कर्मचारियों से पैसा लेकर नियुक्ति ना देने का आरोप लगा तो एम्स ऋषिकेश ने उसका टेंडर समाप्त कर दिया I

3. उसके बाद मास कंपनी को नियुक्तियां कराने का टेंडर मिला लेकिन उस पर भी घूसखोरी के द्वारा नियुक्तियां कराने का आरोप लगा,  जिस पर उपनिदेशक जी ने बताया कि मास कंपनी का कार्य सही नहीं पाया गया जिस कारण से इस का टेंडर समाप्त किया जा रहा है I

4. प्रिंसिपल सिक्योरिटी सर्विसेज जोकि सिक्योरिटी सेवा प्रदान करती है उसको डॉक्टर, नर्सिंग व टेक्निकल पदों पर नियुक्तियां कराने का टेंडर दिया गया I

5. हाल ही में यह भी देखा गया कि ग्रुप ए के डॉक्टर्स की नियुक्तियां भी आउटसोर्सिंग के माध्यम से कराई गई जिस पर मंत्रालय द्वारा हस्तक्षेप किए जाने पर इन डॉक्टर्स को निलंबित किया गया I

6. अभी भी ग्रुप ए के बहुत से ऐसे पद हैं जिन पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य लिया जा रहा है जैसे लेखा अधिकारी अशोक राज और सुभाष मलिक I

7. श्री प्रदीप पांडे इनकी नियुक्ति भी ग्रुप ए विधि अधिकारी के पद पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गई थी जिनका नियमित विज्ञप्ति आने पर नियमित के लिए चयन हुआ और अब नियमित कर्मचारी के तौर पर कार्य कर रहे हैं I

8. डिप्टी मेडिकल सुपरीटेंडेंट का पद आउटसोर्सिंग के माध्यम से डॉ. अनुभा अग्रवाल को नियुक्त किया गया जबकि डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट का पद प्रतिनियुक्ति के द्वारा और उम्र 40 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए के मानक हैं और इन मानकों के विरुद्ध यह नियुक्ति कराई गई I जब उनकी नियुक्ति पर सवाल उठे तो उनको डिप्टी मेडिकल सुपरीटेंडेंट से हटाकर उनको असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन का पद आउटसोर्सिंग के माध्यम से दिया गया I

9. एम्स ऋषिकेश की नियमित विज्ञप्ति में 80% पहले से ही कार्य कर रहे आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का चयन हो रहा है I ऐसा ही IT प्रोग्रामर की नियुक्ति में भी देखा गया जहां 2 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी वहां पर आउटसोर्स कर्मचारी अनुराग शुक्ला को 96% अंक प्राप्त हुए और यह एक आश्चर्यजनक बात है की उसके बाद एक भी कर्मचारी 60% क्वालीफाइंग अंक भी प्राप्त नहीं कर पाया, जिससे यह नियुक्ति भी सवालों के घेरे में आती है I अनुराग शुक्ला का नियमित होना पहले से ही निश्चित बताया जा रहा था इसका पूरा परिवार जिसमें आकांक्षा शुक्ला, अंकिता मिश्रा, अंशिका मिश्रा पहले ही नियमित हो चुके हैं I  ऐसे ही बहुत से नाम है जिनकी आउटसोर्सिंग से नियमित नियुक्ति पर निरंतर सवाल उठते आए हैं: सुभाष चौहान, विक्रम सिंह, संजय त्रिपाठी, अर्चना जोशी, आजिओ उन्नीकृष्णन, अर्पित, प्रदीप पांडे, मनीष नेगी, प्रवीण कुमार, यशपाल राणा, शैलेंद्र पवार, आशीष बलूनी, तरुण, राजीव कुमार, उषा, हिमांशु, नितिन शर्मा, सत्येंद्र कुमार, सुमित वैद, पंकज, बालकृष्णन और इनका परिवार I

10. सूत्रों से पता चला है कि स्टेनोग्राफर की विज्ञप्ति के परिणाम में भी 80% उम्मीदवार एम्स ऋषिकेश में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य कर रहे हैं उनका चयन हुआ है जिसमें प्रशांत दुबे व आदि नाम हैं I अंदर के कितने कार्यरत कर्मचारी नियमित हो रहे हैं इसको छुपाने के लिए इनकी नियमित नियुक्ति के परिणाम में केवल रोल नंबर दिए गए, अंक परिणाम को भी छुपाया गया I

11. आउटसोर्सिंग के माध्यम से अपने चहेतों की नियुक्ति कराना व पदों के विपरीत उन्हें बड़े पद मैं बैठाया जा रहा है जैसे क्षितिज संसारिया हैं जो जूनियर अकाउंट ऑफिसर के पद पर कार्यरत था और वह असिस्टेंट एडमिन ऑफिसर का कार्य कर रहा है I विमल सचान को आउटसोर्सिंग के माध्यम से असिस्टेंट एडमिन ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया था जब मांगों के विरुद्ध उनकी नियुक्ति किए जाने पर सवाल उठे उसके बाद से न जाने कितने ही पदों में कार्य कर चुके हैं निरंतर उनके पद को बदला जा रहा है I

12. ऐसे ही बहुत से पद ऐसे हैं जिसमें कर्मचारियों की तनख्वाह दी जाती है पर कर्मचारी संस्थान में कार्य ही नहीं कर रहे हैं, एम्स ऋषिकेश द्वारा कितने कर्मचारियों की तनखा आउटसोर्सिंग कंपनी को दी जा रही है और कितने कर्मचारी कार्य कर रहे हैं यह भी एक जांच का विषय है जिस पर सही तरीके से जांच होनी चाहिए I आउटसोर्सिंग के माध्यम से एम्स ऋषिकेश में कार्य कर रहे कर्मचारियों की सूचना RTI के माध्यम से मांगने पर सूचना प्रदान नहीं की जाती है I
13. आउटसोर्सिंग कंपनी मन मुताबिक तनख्वाह देती है जब मन आता है उसका वह कर्मचारियों की तनखा काट देती है और इन कर्मचारियों को छुट्टियां देने का भी कोई प्रावधान नहीं है इनको एक भी छुट्टियां नहीं मिलती हैं I यह DoPT नियम के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है और कर्मचारियों से एक बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लिया जा रहा है I

14. एक कर्मचारी को निकाल कर उसकी जगह पर दूसरे कर्मचारी को रखना व निकाले गए कर्मचारियों के द्वारा जब एम्स ऋषिकेश व आउटसोर्सिंग कंपनी के विरुद्ध जब धरना प्रदर्शन किया गया तो इनकी आवाज को दबाने के लिए इनको दोबारा नियुक्तियां प्रदान कर इनकी तनख्वाह में कटौती कर दी गई I

15. ऐसे ही संविदा कर्मचारियों का कार्यकाल समाप्त करके आउटसोर्सिंग के माध्यम से इन कर्मचारियों की नियुक्ति कराई गई, संस्थान में पद होने के बाद भी कर्मचारियों को निकाल कर उनको आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखना नियमों के खिलाफ है I

इन सभी कंपनियों पर मानकों के विरोध गलत तरीके से व पैसे लेकर नियुक्तियां देने का आरोप लगा है I आउटसोर्सिंग कंपनी में ऐसे ही कितने आरोप लगे हैं जैसे समय पर कर्मचारियों की तनख्वाह ना देना, कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड ना दिया जाना, मानकों के विरुद्ध कर्मचारियों का प्रमोशन करना, टेक्निकल पदों पर बिना अनुभव के नियुक्तियां कराना, अपने चहेतों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से लगाना व फिर इनको पदों के विपरीत बड़े पद पर कार्य कराना I

मंत्रालय (Nursing Section) के द्वारा पहले ही यह निर्देशित किया जा चुका है कि नर्सिंग की भर्तियां आउटसोर्स के द्वारा नहीं की जा सकती, फिर भी इन भर्तियों पर कोई भी रोकथाम नहीं लगाई जा रही है इस कोविड महामारी के दौरान भी लगातार आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति की जा रही है जो मरीजों के लिए बहुत ही घातक हो सकता है I आउटसोर्सिंग कंपनी का कार्य सही नहीं पाए जाने पर कंपनी का टेंडर तो समाप्त कर दिया जाता है लेकिन जब यही सवाल और आरोप एम्स प्रबंधन की कार्यशैली के ऊपर उठते हैं तो प्रबंधन पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए I

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