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10.4.08

श्यामेंद्र के अपहरण में बसपा विधायक गुरुप्रसाद मौर्य का हाथ?

इलाहाबाद के पत्रकार श्यामेंद्र कुशवाहा के अपहरण मामले में मुझे जो डेवलपमेंट पता चले हैं वो इस प्रकार हैं....


1- बीते रोज इलाहाबाद के सभी व्यापारियों, नेताओं, पत्रकारों, साहित्यकारों, रंगकर्मियों ने सिविल लाइंस चौराहे से इकट्ठा होकर कचहरी तक विरोध जुलूस निकाला और दैनिक जागरण के वरिष्ठ उप संपादक श्यामेंद्र कुशवाहा की सकुशल बरामदी न कर पाने पर पुलिस प्रशासन की निंदा की। इस जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन को आम जनता और दुकानदारों का भी समर्थन हासिल था।

2- कल यानि अगले दिन इलाहाबाद बंद का आह्वान वहां के पत्रकारों, व्यापारियों, नेताओं, साहित्यकारों, रंगकर्मियों आदि ने किया है। इस बंद के पीछे एकमात्र मांग वरिष्ठ पत्रकार श्यामेंद्र कुशवाहा का पता लगाना और उन्हें सकुशल छुड़ाना है।

3- सूत्रों ने स्पष्ट तौर पर बताया है कि इलाहाबाद में बसपा के गंगा पार नेता गुरुप्रसाद मौर्य और बिल्डर दानिश, इन दोनों में से ही किसी एक का हाथ वरिष्ठ पत्रकार श्यामेंद्र के अपहरण के पीछे संभव है। इन दोनों की भूमिका को लेकर पुलिस जांच कर रही है। पर सूत्रों का कहना है कि बसपा विधायक के प्रभाव में जिला पुलिस प्रशासन है क्योंकि वो यूपी की मुख्यमंत्री के खासमखास में से है।

4-पता चला है कि कल जब पुलिस कुछ लोगों को हिरासत में लेकर गहराई से पूछताछ कर रही थी तो बसपा विधायक गुरुप्रसाद मौर्य सीधे उस पूछताछ कक्ष में घुस गए और वहां अपने तरीके से पुलिस वालों को निर्देशित किया। इससे जाहिर है कि सत्ताधारी पार्टी का विधायक होने के कारण इस मामले में पुलिस पर काफी दबाव भी बनाया जा रहा होगा।

उपरोक्त जानकारियां मुझे मिली थीं, जिसे मैंने बिना संपादित किये आप लोगों तक पहुंचा दिया। अब आप लोगों से अपील है कि अपने अपने स्तर से इलाहाबाद में रहने वाले अपने साथियों से संपर्क कर इस मामले के डेवलपमेंट पता करते रहें और भड़ास पर पोस्ट करते रहें जिससे हम लोग सारी दुनिया को बता सकें कि इस मामले में सच्चाई क्या है।

देश भर के हिंदी पत्रकारों और गैर पत्रकारों से अपील है कि वो श्यामेंद्र के अपहरण की निंदा और उनकी सकुशल बरामदगी की मांग करते हुए भड़ास पर अपनी टिप्पणी दर्ज कराएं ताकि उसे हम इलाहाबाद पुलिस प्रशासन और यूपी की मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों अफसरों तक पहुंचा सकें जिससे श्यामेंद्र की बरामदगी के लिए दबाव और ज्यादा बनाया बढ़ाया जा सके।

जय भड़ास
यशवंत

7 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,न जाने क्यों बार-बार इस विचार को दिमाग से झटकने की कोशिश करता हूं और फिर उपज आता है कि एक बार पुनः शास्त्र की रक्षा के लिये शस्त्र उठाना होगा अगर ये काले देशज अंग्रेज ऐसे ही जुल्म करते रहे,निरीह जनता तो इतनी जल्दी आवाज उठाने और मुखालफ़त करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। यदि ऐसा चलता रहा और दस्तूर बन गया कि जो बोले उसे चुप करा दो तो मैं शस्त्र उठाने की पहल करने से पीछे नही हटूंगा और दुष्टों के मन में अपना आतंक बैठाना श्रेयस्कर मानूंगा
जय जय भड़ास

Unknown said...

dr. sab schmuch halat khtrnak hain.
stta aur sngthan ke nshe me chur log svedna ko thenge pr rkh dete hain...hm hr hal me jldi shaymendr ki bramdgi chahte hain...

Anonymous said...

mitron,

up ki maya or maya ki maya aprampaar hai tabhi to na jane kitne sattaseen netaoun ne is tarah ki harkaten ki hain or sayad karte bhi rahenge, magar patrakaron ke upar hamla to sedha sedha loktantra ke samvaad pe hamla hai. ham purjoor mukhalfat karte hue syamendra bhai ki rihai chahte hai....

Jai Bhadaas

विकास परिहार said...

दादा ऐसे लोगों की पिछाड़ी में तो लट्ठ डाल देना चाहिए वो भी बिना तेल लगाए।

Anonymous said...

DADA AISE VIDHAYAK HO YAA PULIS VAALE IN LOGO KE KARAN HI DESH KE JHAANT MEIN AAG LAGI HUI HAI FIR BHI SAB DAMGAR PRATIRODH NAHI KAR RAHE HAIN.KUCHH AISAA HONAA CHAHIYE JO INKE MANSUBON PAR PANI FER DE.

VARUN ROY said...

जैसी कि आशंका जाहिर की जा रही है, श्यामेंद्र जी के अपहरण में यदि किसी बसपा विधायक का हाथ है तो फ़िर पुलिस से कुछ उम्मीद करना बेकार ही है. हाँ, इसमें कोई कुछ कर सकता है तो वो हैं यूपी की मुख्यमंत्री मायावती.
सारा पत्रकार समाज अगर मुख्यमंत्री का घेराव कर उन पे दबाव बनाए तो श्यामेंद्र जी कि रिहाई मिनटों में हो सकती है. क्यों और कैसे ये बताने की शायद जरूरत नहीं है. सब समझदार हैं. एक और बात कहना चाहूँगा कि श्यामेंद्र जी कि रिहाई तो फौरी समस्या है परन्तु हाल के दिनों में जिस तरह से पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है,वह चिंता का विषय है. हमें इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा और इसका मुकाबला करना होगा. पेशगी में इस सफ़ाई के साथ कि मैं जो कहने जा रहा हूँ उसका श्यामेंद्र जी से कोई वास्ता नहीं है, मैं कहना चाहूँगा कि आजकल पत्रकारिता उतनी साफ-सुथरी नहीं रह गयी है और चंद पत्रकार बन्धुवों की गुण्डों, माफियाओं से बढ़ती निस्बत ही शायद इन हालातों के लिए जिम्मेदार है जिसकी चपेट में श्यामेंद्र जी जैसे खड़ी-खड़ी कहने वाले भी आ जाते हैं. हमें न सिर्फ़ चौथे खम्भे को इतना मजबूत करना है कि इसे कोई इधायक-विधायक या गुंडे-बदमाश हिला न सकें बल्कि अपने बीच जगह बना रहे इन काली भेड़ों को भी निकाल बाहर करना होगा जो पत्रकारिता जैसे जिम्मेदार पेशे को बदनाम कर रहे हैं.

KAMLABHANDARI said...

police ho ya neta kisi se bhi umeed karna bekar hai .kyuki sab uski khet ki muli hai .
isliye sabhi yani janata ko hi dabaaw daalna hoga tab jakar sayad kuch ho sake.