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6.9.08

मैं रामधन बोल रहा हूँ!

मैं रामधन बोल रहा हूँ!

हेल्लो, मैं रामधन बोल रहा हूँ. आप लोग मेरी चिंता न करें।

सुबह ७ बजकर ५३ मिनट पर रामधन का फोन आया, तो उसने उक्त वाक्य कहे.

दिनों से रामधन की गुमशुदी ने पूरा परिवार, नाते-रिश्तेदार व् मित्रगण एवं सामाजिक परिचय के सभी लोगों को बहुत परेशान करके रखा हुआ था. सभी लोग अपने-अपने कयासों से अपनी-अपनी क्षमता-योग्यतानुसार रामधन को तलाशने की जीतोड़ लगन करते आए हैं. पूरे परिवार के लिए रामधनी की गुमशुदी किसी बड़े दुःख से कम नहीं रही...जिसने सभी को परेशान किया, तनावग्रस्त किया...दुःख में डुबो दिया...रामधन की सलामंती और तफ्तीश के लिए जहाँ हर किसी ने भगवान् से प्रार्थना की तो वहीं तलाशने की जद्द्जोहहद में रात-दिन लगे रहे.

सैकड़ों सवालों के बीच आज शुक्र है भगवान् का, उसने प्रार्थना सुनी और रामधन को अपने परिवार का ख़याल कराया. (वैसे, चूँकि रामधन से - मिनट ही बात हुई, इसलिए पूरा माजरा समझ से बाहर है, कि आख़िर इस सबके पीछे असल कहानी क्या है. रामधन के वापस आने तक सवाल ज्यों के त्यों तो रहेंगे ही.) खैर, रामधन ने फोन किया कई तो दिनों से हताश व् परेशानी से जूझते हुए मायूस चेहरों पर खुशी की इक झलक देखने को मिली है।

रामधन की तलाश अब भी जारी है...ये ठीक वैसी है जैसे भीगे ज़ख्मों पर हवाओं ने अपनी गति और भी तेज़ कर दी हो । उम्मीदों के सायों में अँधेरा अब भी अपने चरम पर है...आपसे सभी पाठकों, लेखकों से अनुरोध है, यथा-सम्भव मदद कीजियेये घड़ी सचमुच बहुत भयाभव है.

"रहा कुछ भी हो इस बीच, इस दरमियाँ, इसकी बाबत
भाई रामधन, आज हाल दिल का बेज़ार हुआ मगर।

ईश्वर से प्रार्थनाओं के साथ;
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द्बारा; अमित के. सागर
(उल्टा तीर) http://ultateer.blogspot.com
+९१-९७१८० ०८६४३

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

डोंगरे जी,कुछ कहानी समझ में नहीं आयी... क्या उसके ऊपर कुछ नौकरी वगैरह का दबाव था? आप अगर संभव हो तो उस लोकेशन को ट्रेस करवाइये ताकि बात की सत्यता पता चल सके। खैर पता चल गया ये अच्छी बात है। ईश्वर उसे स्वस्थ और सुखी रखे।

Anonymous said...

डोंगरे भाई,
चलिए भाई अपना मिल गया, सो घर में सब को रहत मिली होगी वैसे डॉक्टर साहब का प्रश्न उचित है. आप एक नजर जरूर डालिए.
भाई सुखी और स्वस्थ रहे।