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2.10.11

आज स्कंद माता अर्थात अलसी मैया की पूजा का दिन है


आज नवरात्रि का पांचवां दिन है और आज स्कंदमाता अर्थात अलसी की भी पूजा होती है। स्कंद माता को पार्वती एवं उमा के नाम से भी जाना जाता है। अलसी एक औषधि है जिससे वात, पित्त, कफ सभी विकारों  का इलाज होता है। इस औषधि को नवरात्रि में माता स्कंदमाता को चढ़ाने से मौसमी बीमारियां नहीं होती। साथ ही स्कंदमाता की आराधना के फल स्वरूप मन को शांति मिलती है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।

अलसी के संबंध में शास्त्रों में कहा गया है.
अलसी   नीलपुष्पी   पावर्तती   स्यादुमा  क्षुमा।
अलसी  मधुरा तिक्ता   स्त्रिग्धापाके   कदुर्गरु:।।
उष्णा दृष शुक वातन्धी  कफ पित्त  विनाशिनी।
अर्थात् वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीडि़त व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए।

आज हमने कोटा में अलसी मैया की धूमधाम से पूजा अर्चना की है और अलसी मैंया की नई आरती आज ही पहली बार गाई है और इसे सबसे पहले आज भड़ास पर प्रस्तुत कर रहे हैं। आप भी आज अलसी मैया की पूजा करे, आरती गाएं और प्रसाद ग्रहण करें। माता प्रसाद दे रही है। यह आरती आरती कुंज बिहारी की की तर्ज पर बनाई है।  अलसी मैंया का एनीमेशन कोटा के महान एनीमेशन इन्जिनियर श्री टीकाराम सिप्पी (09660873257) ने बनाया है। एनीमेशन देखने के लिए प्ले का बटन दबाना पड़ेगा।    




अलसी वंदना

 

आरती  अलसी  मैया   की

शशिधर रूप  दुलारी की ।।

 स्वास्थ्य की  देवी कहलाती

 भक्त  की  पीड़ा  हर लेती

 मोक्ष  के द्वार खोल  देती 

शत्रु  हो  त्रस्त

रोग हो  ध्वस्त

देह हो  स्वस्थ

दयामयी  अनुरागिनी  की

शशिधर रूप दुलारी की ।।

त्वचा में लाये   कोमलता

कनक  जैसी  हो सुन्दरता

छलकता यौवन का सोता

वदन  में  दमक

केश  में  चमक

बदन   में  महक

मोहिनी  नील कुमारी की

शशिधर रूप दुलारी की ।।

तुम्हीं हो  करुणा का सागर

कृपा से भर दो   तुम गागर

धन्य हो  जाऊँ   मैं  पाकर

तू देती  शक्ति

करूँ  मैं भक्ति

दिला दे मुक्ति

उज्ज्वला  मनोहारिणी की

शशिधर रूप दुलारी की ।।

ज्ञान और  बुद्धि  का वर दो

                                                             तेज और प्रतिभा  से भर दो

ओम को  दिव्य चक्षु  दे दो

न जाऊं भटक

बिछाऊं पलक

दिखादे झलक

रुद्र प्रिय  मतिवाहिनी  की

शशिधर  रूप दुलारी की ।।

क्रोध  मद आलस को हरती 

हृदय को  खुशियों से भरती 

चिरायु   भक्तों  को करती

मची  है धूम

मन रहा घूम

भक्त रहे झूम

स्कंद मां   पालनहारी  की

शशिधर रूप  दुलारी की ।।






डॉ. ओ.पी.वर्मा
अध्यक्ष, अलसी चेतना यात्रा
7-बी-43, महावीर नगर तृतीय
कोटा राज.
http://flaxindia.blogspot.com

+919460816360


1 comment:

Anonymous said...

really worthwhile