समझी।टोकियो सम्मेलन २८ मार्च से ३० मार्च १९४२ तक टोकियो के सान्नी होटल में
आयोजित किया गया।इस सम्मेलन की अध्यक्षता रासबिहारी बोस ने की।इस सम्मेलन में
प्रवासी भारतीयों का एक बडा सम्मेलन रंगून या बैंकाक में करने का निर्णय लिया गया।बाद में सिंगापुर में
२४ अप्रैल को बैठक कर भारतब की स्वतंत्रता के लिये काम करने का निर्णय लिया गया।ज़ापान,ज़र्मनी,इटली के राजदूतों ने तथा
थाईलैंड के विदेशमंत्री ने भाग लिया।रासबिहारी बोस,आनंदमोहन सहाय,देवनाथदास,राघवन मेनन,नरूला,एन०एस०गिल,गिलानी और मोहनसिंह ने भाषण
दिये।इस सम्मेलन में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता को लक्ष्य घोषित किया गया तथा
अविभाज़्य भारत को प्राप्त करने का संकल्प लिया गया।कार्यक्रम को भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस की नीतियों के अनुसार चलाने का निर्णय लिया गया।आंदोलन को इंडियन
इंडिपेंडेंस लीग का गठन कर उसके अंतर्गत चलाने का भी निर्णय लिया गया।१५ जून से २३
जून तक बैंकाक में प्रवासी भारतीयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया
रासबिहारी बोस
इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का पहला अध्यक्ष रासबिहारी बोस को चुना गया।जनरल
मोहनसिंह इंडियन नेशनल आर्मी के सुप्रीम कमांडर नियुक्त किये गये।ज़नरल मोहनसिंह को
ज़र्मन राजदूत ने एक दिन खाने अपने घर पर बुलाया।ज़ापान ने इसे पसंद नहीं
किया।ज़ापानी जनरलों ने मोहनसिंह को विश्वास में लेकर कहा कि ज़ापान ब्रिटन की
अपेक्षा ज़र्मनी को प्रथम शत्रु समझता है।आंग्ल -अमेरिकी शक्तियां शीघ्र समाप्त हो
जायेंगी अंततः जापान और ज़र्मनी में संघर्ष होगा।
ज़नरल मोहनसिंह ने जापानियों से बैंकाक सम्मेलन के प्रस्तावों को मानने का
अनुरोध कियापर ज़ापानियों ने इसे स्वीकार नहीं किया।ज़नरल मोहनसिंह ने
लिखा--"ज़ापानियों ने इस मामले में रासबिहारी बोस को अपने साथ कर
लिया।ज़ापानियों ने जो उत्तर भेजा था उसे रासबिहारी बोस ने अन्यों को नहीं
दिखाया।रासबिहारी बोस ज़ापानियों के प्रति अधिक निष्ठावान रहे।"
----आज़ाद हिंद फौज़ का गठन
3 comments:
"रासबिहारी बोस ज़ापानियों के प्रति अधिक निष्ठावान रहे।" यह नकारात्मक लेखन है.
"रासबिहारी बोस ज़ापानियों के प्रति अधिक निष्ठावान रहे।" यह नकारात्मक लेखन है.
"रासबिहारी बोस ज़ापानियों के प्रति अधिक निष्ठावान रहे।" यह नकारात्मक लेखन है.
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