मित्रों,जब हम बचपने में थे तब हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग हमें अक्सर गाँव के तालाब में नहाने से रोका करते थे.चूंकि मारने-डांटने का प्रभाव बच्चों के मन-मस्तिष्क पर बहुत ही कम देर तक रहता है इसलिए वे हमारे मन में विभिन्न मनगढ़ंत कहानियों के द्वारा भायारोपन कर दिया करते थे और उन कहानियों में सबसे प्रमुख कहानी थी पनडुब्बा की.उनका कहना था या यूं कहें कि मानना था कि जो लोग तालाब में डूबने से मर जाते हैं वे एक विशेष प्रकार के भूत बन जाते हैं जिनकों वे पनडुब्बा कहते थे.इन पनडुब्बों में जैसा कि वे बताते थे कि ऐसी प्रवृत्ति पाई जाती है कि जो भी तालाब में स्नान करने आए उसे भी डूबा दो,जिससे उनके संख्या बल में लगातार वृद्धि होती रहे.
मित्रों,दुभाग्यवश भारत की सबसे पुरानी और गुजरते वक़्त में केंद्र में सत्ता में काबिज कांग्रेस या करप्शन पार्टी इन दिनों यही पनडुब्बा का खेल खेलने में मशगूल है.सच्चाई तो यह है कि भ्रटाचार में आकंठ डूबी हुई यह पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी तरह के ठोस कदम उठाना ही नहीं चाह रही है;लेकिन वो उस प्रत्येक शख्स को भ्रष्ट ठहराने पर तुली हुई है जो भी भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठा रहा है.यह वही पार्टी है जिसके मंत्री रामलीला मैदान में लोकतंत्र की हत्या होने से पहले बाबा रामदेव की चरण-वंदना करने में थक नहीं रहे थे और अब यह वही पार्टी है जो उसी बाबा को भ्रष्ट साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही.अन्ना टीम के साथ भी इन दिनों चरित्र-हनन का गन्दा खेल चाहू आहे.सबसे पहले सरदार को पकड़ो की नीति पर चलते हुए अन्ना हजारे पर दर्जनों बेबुनियाद आरोप लगाए गए और उन्हें देशद्रोही,सेना का भगोड़ा और आपादमस्तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ बताया गया.जब बाद में उनका सफ़ेद झूठ सामने आने लगा तब जितनी बेशर्मी से आरोप लगाए गए थे कहीं उससे भी ज्यादा बेहआई के साथ लगे हाथों माफ़ी भी मांग ली गयी.इस असफल प्रयास के बाद कीचड़ उछाला गया पहले शांतिभूषण एंड संस पर,फिर अरविन्द केजरीवाल की बेदाग छवि पर और आजकल बारी चल रही है क्रेन आई.पी.एस. किरण बेदी और युवा कवि डॉ. कुमार विश्वास की.हालाँकि,किरण बेदी पर जो आरोप लगे हैं और उन्होंने जवाब में जो स्पष्टीकरण दिए हैं उससे स्पष्ट है कि चाहे किरणजी की नीति सही नहीं रही हो,उनकी नीयत साफ़ है.किरण जी का तो सिर्फ साधन अपवित्र है कांग्रेस नेताओं का तो साधन और साध्य दोनों ही अशुद्ध है.मित्रों,कांग्रेस के साथ सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वह यह नहीं समझ पा रही है कि भारत की जनता उससे और उसकी सरकार से चाहती क्या है.उसे लगता है कि भारत की जनता यह चाहती है कि जो भी भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठाए उसे बारी-बारी से भ्रष्ट साबित कर दिया जाए.उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि आवाज उठानेवाला भ्रष्ट है या नहीं इससे आम आदमी का क्या लेना-देना.आम आदमी तो बस यह चाहता है कि उसको भ्रष्टाचार का दानव से किसी प्रकार छुटकारा मिले.इसलिए मैं देशहित में अपनी आदत के विपरीत जाकर कांग्रेस पार्टी को मुफ्त में यह कीमती सलाह देना चाहता हूँ कि वो पनडुब्बा और कीचड़ उछलने का कुत्सित खेल खेलना छोड़कर ऐसे ठोस कदम उठाना शुरू करे जिससे भ्रष्टाचार सचमुच में समाप्त हो सके.उसे प्रभावी लोकपाल को तो स्थापित करना ही चाहिए;साथ ही न्यायिक प्रक्रिया को भी तीव्रगामी बनाना चाहिए जिससे लोकपाल की पकड़ में आए भ्रष्टाचारियों को समय पर सजा हो सके और उनकी अवैध कमाई से जोड़ी गयी संपत्ति को भी समय रहते जब्त किया जा सके.अन्यथा दीवार पर लिखी हर ईबारत यही बता रही है कि सबसे पुरानी होने का दंभ भरने वाली यह ऐतिहासिक पार्टी सचमुच में इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएगी.अभी तो सिर्फ हिसार में ही इसकी जमानत जब्त हुई है आने वाले चुनावों में उसके लिए युवा भारत की एक-एक सीट पर जमानत बचाना मुश्किल हो जाएगा.
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