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Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................
सुबह सुबह नुक्कड़ पर दीपक हिंदूवादी दुखी नजर आये, हमने कारण पूछा तो फ़ट पड़े - " ये भारत का मीडिया बिकाउ है साला।" हमने कहा- "अरे भाई, अखबार बिकेंगे नही लोग खरीद कर पढ़ेंगे नही तो चलेंगे कैसे।" दीपक जी ने हमारी बुद्धी पर तरस खाते हुये समझाया -" अरे भाई वैसे बिकाउ नही कहा हमने, हमारा कहने का मतलब है कि संपादक लेखक लोग पैसे लेकर झूठी खबरे छापते हैं, खबरे दबा भी देते हैं"। हमने कहा - " भाई जरा बात को उदाहरण सहित समझाया करो पिछली बार ही हम उलझ गये थे।" दीपक भाई ने उदाहरण दिया - अब प्रशांत भूषण का मामला ही देख लो, सब लोग उसकी पिटाई करने वालों के खिलाफ़ उल्टा सीधा छाप रहे हैं। जबकी भगत सिंग सेना के लोगो ने देश भक्ती का काम किया था। कश्मीर को अलग करने की बात करने वालों को पीटना चाहिये था कि नही।"
हमने कहा- "बयान का विरोध तो सभी कर रहे हैं। पर ये मारपीट वाला तरीका असंवैधानिक है। अब आपके आडवानी जी को ही ले लो, हमारे मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बजाय खुद ही बुढ़ापे में उलानबाटी खा रहे हैं। हमको बिल्कुल पसंद नही आ रहा, तो क्या हम पीटे उनको जाकर।" दीपक भाई बोले- "देशभक्ती का मामला अलग होता है।" हमने कहा भूषण तो कश्मीरियों को अपने साथ मिलाने की बात भी कह रहा था ये तो पाकिस्तान जाकर जिन्ना जैसे देशद्रोही की तारीफ़ कर के आ गये थे। उसके बाद जाकर आतंकवादियो को काबुल भी पहुंचा आये थ। और आप कहते हो ये मामला अलग है।"
दीपक जी बोले - " यार दवे जी, बात को कहा से कहा पहुंचा देते हो। हम यह कह रहे थे कि भारतीय मीडिया हिंदू विरोधी है। हममे कहा- "यार सारे चैनलो में तो सुबह शाम पंडित, ज्योतिषियों के कार्यक्रम आते हैं। इंडिया टीवी तो भगवानो का घर और राक्षसों के महल ही खोजता रहता है।" दीपक बाबू ने मुंह बनाया - भाई ये सब तो ये लोग टीआरपी के लिये करते हैं पर हिंदूओ पर हो रहे अत्याचार और उनके हितो के नुकसान के बारे मे कुछ नही बताते।" हमने कहा - " रामदेव बाबा की पिटाई एक हफ़्ते तक दिखाई जाते रही। उनका मंच से कूदना सलवार सूट पहन कर भागना और उसके बाद जान से मारने की कोशिश वाला इंटरव्यू कितने दिनो तक चलता रहा और तो और आपकी पूज्यनीय साध्वी के मंच पर नजर आने के बाद मीडिया ने ऐसा सब हो सकता है इसकी भविष्यवाणी भी कर दी थी।
दीपक जी बोले- "हमारे बाबा पर हुये दमन की बात तो दिखाई, पर उसके विरोध में देश भर मे हुये आंदोलन को नही दिखाया। कांग्रेस का एजेंट अन्ना जेल में बंद क्या हुआ, सुबह से लेकर शाम तक उसी को दिखाते रहे। और तो और हिसार में अन्ना के तीन आदमी सिर्फ़ तीन दिन पहले गये थे तो उनकी जीत बता दिया और हमारे बाबा रामदेव के हजारो कार्यकर्ता दो महिनो से कांग्रेस को हराने की अपील कर रहे थे उसके बारे मे कुछ नही बताया।
हमने कहा- "तब तो आपकी भाजपा भी बिक गयी है। भाजपा नही बिकी होती तो बुलाती बाबा रामदेव को प्रचार में और वहां अपने प्रत्याषी के साथ सभा करती। और ये बार बार मीडिया को कोसना बंद करो जब देखो तब हाय मीडिया हाय मीडिया चिल्लाते हो और कंप्यूटर मे अफ़वाहे फ़ैलाते हो कि नेहरू का दादा मुसलमान था, गांधी का बाप मुसलमान था राहुल गांधी अमेरिका मे नशे के व्यापारी के साथ पकड़ाया था, यहां हिंदू मारे जा रहे हैं, वहां मंदिर टूट रहे हैं। दीपक जी गला फ़ाड़ कर चिल्लाये " यह सब एक दम सच बात है दवेजी आप कांग्रेसी हो इसलिये इसे अफ़वाहे बता रहे हो।"
हमने कहा- "सच है तो क्यो नही भाजपा प्रेस कांफ़्रेस कर आरोप लगाती। गांधी का बाप मुसलमान था, गांधी ने भारत के टुकड़े करवा दिये तो क्यों राजघाट जाते है भाजपा नेता श्रद्धांजली देने। और जहां हिंदू मर रहे हैं मंदिर टूट रहे हैं तो क्यो नही वहा जाकर धरने पर बैठ जाते। सबसे बड़ी बात जब मालूम है कि मीडिया बिकाउ है। तो खरीदते क्यों नही, हाय हाय करते पचास साल गुजर गया क्यों अकल नही आती। दीपक बाबू बोले - "दवे जी, हम लोग भ्रष्ट नही है"। हमने कहा- "यार यह बात सुनकर हमको हंसी भी आती है और रोना भी। हंसी इसलिये कि ऐसी साफ़गोई से झूठ बोलने वाला जोकर, भारतीय राजनीती मे ही मिल सकता है और रोना इसलिये कि जिस चाल चेहरा और चरित्र की उम्मीद थी उसका बेड़ा गर्क कर दिया है भाजपाइयों ने।"
दीपक बाबू ने बात घुमाई- "दवे जी हम लोग धर्म युद्ध लड़ रहे हैं, हमे बिकाउ मीडिया का साथ नही चाहिये। " हमने कहा - "इतना हिंदू वादी बने फ़िरते हो, गीता पढ़े होते तो जान जाते धर्म युद्ध में सब जायज है। और धर्म युद्ध, इमानदारी सब लारी लप्पा है आप लोगो को सिर्फ़ माल अंदर करने की हो रही है ये बेचारे कांग्रेसी कितने इमानदार टाइप के बेईमान हैं, खाते भी है तो आधा मीडिया तक पहुंचा देते हैं। और आप लोगो की सरकार आये तो माल पानी अंदर करके इंडिया शाईनिंग चिल्लाने लगते हो। फ़िर हार जाते हो तो हाय मीडिया हाय मीडिया चिलाते हो।"
दीपक बाबू बोले - "दवे जी, आपकी बात में दम तो है हम पार्टी में प्रस्ताव रखेंगे " हमने कहा क्या खाक रखोगे पहले अपने अखबारो की हालत पर विचार रखवाना। पांचजन्य को पांच आदमी नही पढ़ते स्वदेश आज कल कौन से देश में छपता है यह जरूर पता करके आना। और सुनो आज के बाद हमारे सामने हाय मीडिया हाय मीडिया मत चिल्लाना।"
अब साहब दीपक बाबू तो नुक्कड़ से निकल लिये और हम सिर खुजाते रह गये कि इस बिकाउ मीडिया को अपने भाजपायी भाउ कब खरीदेंगे या जीवन भर हाय मीडिया हाय मीडिया ही भजते रहेंगे। अब उम्मीदे तो इन्ही से है, भारत की प्रधान मम्मी और उनकी पार्टी को झेलना अब हमारे बूते की बात नही।
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2 comments:
बहुत बढ़िया दवेसाहब,
बधाई ।
कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना वाला व्यंग शानदार लगा.
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