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24.10.11

editorial on dewali

सामाजिक मूल्य बदलें बिना क्या भ्रष्टाचार रूपी रावण का अंत हो सकता है?ै

बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का प्रतीक है दीपावली का त्यौहार। आततायी रावण का वध करके जब भगवान राम अयोध्या वापस आये थे तो अयोध्यावासियों ने घी के दिये जला कर भगवान राम का स्वागत किये थे। इसे ही दिवाली के रूप में मनाते हैं। आज देश में सबसे बड़ी बुराई भ्रष्टाचार रूपी रावण है। इस बात से किसी को इंकार नहीं हैं। इसे खत्म होना ही चाहिये।

इसे खत्म कर सकने का दावा कई लोग कर रहें हैं लेकिन हर एक का यह मानना हैं कि सिवाय मेरे तरीके के कोई और तरीका कारगर हो ही नहीं सकता। अन्ना हजारे जनलोकपाल बिल को,बाबा रामदेव विदेश से कालाधन वापस लाने को तो आडवानी रथ यात्रा और सरकार अपने तरीकों को इस रावण को मारने का सबसे का अचूक हथियार मान रही हैं। भ्रष्टाचार रूपी रावण को मारने के लिये राम बनने को तो कई लोग तैयार हैं लेकिन उसकी नाभि में अमृत है यह राज शायद कोई जानता ही नहीं हैं तो भला इसका अंत कैसे होगा?

भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कई कानून आज भी लागू हैं। कई राज्यों में लोकायुक्त भी नियुक्त किये गये हैं। इनका आलम यह है कि आज भी मध्यप्रदेश में लोकायुक्त द्वारा की गयी 170 सिफारिशें लंबित पड़ी हैं जिनमें से कुछ तो दस साल से लंबित हैं लेकिन सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की हैं। वास्तव में जरूरत हैं तो कानूनों को सख्ती से लागू करने की हैं।

समाज में होने वाल बदलावों का असर हर क्षेत्र में होता हैं चाहे वह प्रशासनिक क्षेत्र हो या राजनैति क्षेत्र हो या व्यापारिक क्षेत्र हो। भारतीय समाज में पहले गुणों पर आधारित मूल्य हुआ करते थे और ऐसे व्यक्ति ही समाज में सम्मान पाते थे। लेकिन अब पैसे और पावर पर आधारित मूल्य हो गये हैं और समाज सम्मान भी उन्हीं को दे रहा हैं और वह यह भी नहीं सोच रहा हैं कि ये पैसा और पावर कैसे प्राप्त किया गया है? समाज में रहने वाला हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसे भी सम्मान मिले और सम्मान पाने के लिये वह वो सब कुछ करने को तैयार रहता है जिससे उसे सम्मान मिले। इसलिये आज मूल आवश्यक्ता इस बात की हैं सामाजिक मूल्यों के आधार बदले जायें अन्यथा भ्रष्टाचार रूपी रावण का अंत कोई भी नहीं कर पायेगा क्योंकि यही उसकी नाभि का अमृत बना हुआ हैं। सामाजिक मूल्य बदले,भ्रष्टाचार रूपी रावण का अंत हो यही दीपावली पर हमारी शुभकामनायें हैं।

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