कितनी अजीब बात है पर यही सच है
तुम जब से पूरे से हुए हो में अधूरी सी हो गई
शायद मैंने खुद को तुम मैं खो दिया है
या खुद का एक हिस्सा खुद से थोडा सा अलग कर दिया है
पर तुमसे मुलाकात के बाद ये अधूरापन कही बढ़ता सा जाता है
जब जब तुम कहते हो मैं पूरा सा हो गया
तुम जब से पूरे से हुए हो में अधूरी सी हो गई
शायद मैंने खुद को तुम मैं खो दिया है
या खुद का एक हिस्सा खुद से थोडा सा अलग कर दिया है
पर तुमसे मुलाकात के बाद ये अधूरापन कही बढ़ता सा जाता है
जब जब तुम कहते हो मैं पूरा सा हो गया
मैं हर बार थोड़ी और अधूरी सी हो जाती हू...
पूरी कविता पढने के लिए क्लिक करें मैं अधूरी सी हो गई
1 comment:
भावपूर्ण प्रस्तुति, आभार.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.
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