शंकर जालान
कोलकाता। छुटभैया नेताओं और तथाकथित समाजसेवियों के लिए होर्डिंग और बैनर सस्ती लोकप्रियता का साधन बन गया है। दुर्गापूजा से लेकर अंग्रेजी नववर्ष के दौरान महानगर के विभिन्न मार्गो पर ऐसे असंख्य होर्डिंग व बैनर देखने को मिल जाएंगे, जिस पर शुभकामना संदेश का जिक्र रहता है। होर्डिंग लगाने वाले नेता या समाजसेवी इन होर्डिंग पर प्रसन्नचित वाली अपनी बड़ी-बड़ी फोटो लगाकर स्थानीय लोगों को दुर्गापूजा, दशहरा, दीपावली, छठपूजा, कार्तिक पूर्णिमा, नानक जयंती, क्रिसमस डे और अंग्रेजी नववर्ष की बधाई व शुभकामना देते दिखाई देते हैं।
मजे की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर होर्डिंग या बैनर गैरकानूनी तरीके से और कोलकाता नगर निगम से अनुमति लिए बगैर लगाए गए होते हैं। जिस इमारत या भवन पर ऐसे होर्डिंग लगाए जाते हैं। इस बाबत इमारत मालिक से स्वीकृत लेना तो दूर उन्हें सूचना तक नहीं दी जाती। मामला स्थानीय और नेताओं से जुड़ा होने के कारण कोई चाह कर भी विरोध नहीं करना।
इससे भी बड़ी बात यह है कि इन होर्डिंगों पर लिखी भाषा व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध होती है, लिखावट (स्पेलिंग) भी गलत रहती है। जैसे शुभकामना, सलाहकार, दुर्गापूजा, दशहरा, दिनेश की स्पेलिंग लिखी जाती है- सुभकमाना, षलाहाकर, दूर्गापुजा, दसहारा, दीनेस। ऐसी अशुद्ध लिखावट वाली होर्डिंग के माध्यम से होर्डिंग लगाने वाले नेता लोगों को क्या बताना चाहते हैं समझ से परे है।
इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की निजी प्रचार की होर्डिंग लगाना चंदा और दान के पैसे की बर्बादी है। सही मायने में होर्डिंग लगाने वाले का मुख्य मकसद लोगों को शुभकामना देना नहीं, बल्कि खुद प्रचार पाना है। बड़ाबाजार के एक वरिष्ठ नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर सवाल उछालते हुए कहा कि क्या ये छुटभैया नेता और तथाकथित समाजसेवी शुभकामना वाले होर्डिंग और बैनर नहीं लगाएंगे तो हमारी दीपावली शुभ नहीं होगी?
जब यहीं प्रश्न होर्डिंग लगाने वाले कुछ नेताओं व समाजसेवियों से किया गया तो लगभग सभी उत्तर देने से कतराते दिखे। क्या लगी होर्डिंग के बाबत आपने कोलकाता नगर निगम से अनुमति ली थी और उसका कर अदा कर दिया है? इस प्रश्न के जवाब में एक तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विधायक ने कहा कि ये व्यापारिक होर्डिंग नहीं है इसके लिए नगर निगम अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं होती। वहीं, नगर निगम के संबंधित विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सड़क किनारे लगी किसी भी प्रकार की होर्डिंग के लिए कर भुगतान के साथ-साथ नगर निगम से अनुमति लेनी जरूरी है। महानगर में हजारों की संख्या में ऐसे होर्डिंग लगे हैं, जिन पर केएमसी टैक्स पेड का कोई उल्लेख नहीं है इस बाबत आप क्या करेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नगर निगम इस बाबत कार्रवाई करेगा। फिलहाल ऐसे होर्डिंग और उसे लगाने वाली संस्थाओं की शिनाख्त की जा रही है, जिन्होंने बिना स्वीकृति और कर अदा किए होर्डिंग लगाए हैं।
21.10.11
सस्ती लोकप्रियता का साधन बने होर्डिंग और बैनर
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