काव्य चर्चा: कविता में सरसता और जीवंतता का ह्रास हुआ है: वरिष्ट साहित्यकार व चिंतक मोहन श्रोत्रीय जी का इस साक्षात्कार की पिछली कड़ियों को पढ़कर कहना है कि जीवन सिंह कि गिनती इस समय के समर्थ आलोचक...
25.10.11
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
काव्य चर्चा: कविता में सरसता और जीवंतता का ह्रास हुआ है: वरिष्ट साहित्यकार व चिंतक मोहन श्रोत्रीय जी का इस साक्षात्कार की पिछली कड़ियों को पढ़कर कहना है कि जीवन सिंह कि गिनती इस समय के समर्थ आलोचक...
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