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28.10.11

पाठक हूँ मैं

* न विचार की तरफ , न सरकार की तरफ ;
सब काम मुखातिब हैं पुरस्कार की तरफ |
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* मेरे ऊपर
कहानियाँ लिखोगे
कवितायेँ बनाओगे
लेकिन जियोगे नहीं
तुम मेरा जीवन .
योग्यता ही नहीं तुममे
विषम जीवन जीने की
साहस ही नहीं विषम
परिस्थितियाँ का
सामना करने का |
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* पाठक था मैं
पाठक ही हूँ
पाठक ही रहूँगा मैं
अपने मूल में
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