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13.10.11

अब मुन्ना भाई करेंगे जादू की थप्पी से इलाज



जादू की थप्पी है ई.एफ.टी. Emotional Freedom Technique

इमोशनल फ्रीडम टेकनीक (Emotional Freedom Technique) सामान्य मनो-चिकित्सा से अलग एक नई जादुई उपचार पद्धति है जो हमारे शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में आई रुकावट को संतुलित करती है और हमारे शरीर तथा मन से नकारात्मक भावनाओं को निकाल देती है। जिससे हमें भावनात्मक और दैहिक विकारों से तुरंत मुक्ति मिल सकती है। चीन में इस ऊर्जा को ची या Qi कहते हैं जो ऊर्जा तंत्रिकाओं (Meridians) में  बहती है। 5000 वर्ष पुरानी एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर उपचार पद्धतियां भी इसी  सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली पर आधारित हैं।  गैरी क्रेग द्वारा विकसित इस उपचार को भावनात्मक एक्युपंक्चर भी कहते हैं, लेकिन इसमें सुई न लगा कर ऊर्जा बिन्दुओं को दो अंगुलियों से थपथपाया जाता है।  यह डर, भय, चिंता, क्रोध, व्यसन, आघात, अवसाद, बुरे स्वप्न, दर्द, सिरदर्द आदि सभी भावनात्मक और दैहिक विकारों का सरल लेकिन शक्तिशाली उपाय है। जिस प्रकार हमारे कम्प्यूटर में एक रिस्टार्ट बटन होता है और जब कोई गड़बड़ होती है या कम्प्यूटर हैंग हो जाता है तो रिस्टार्ट बटन दबाने पर कम्प्यूटर पुनः ठीक से चालू हो जाता है। उसी तरह ई.एफ.टी. भी हमारी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में आई रुकावट को ठीक करने के लिए रिस्टार्ट बटन का काम करती है।   
  
इतिहास
1980 में  डॉ. रोजर केलहन एक मैरी नाम की महिला का उपचार कर रहे थे, जिसे पानी से बहुत डर लगता था। इस कारण उसे बुरे स्वप्न आते  थे और तेज सिरदर्द रहता था। मैरी कई मनोचिकित्सकों से उपचार लेने के बाद आखिर में डॉ. रोजर के पास पहुँची। डेढ़ वर्ष तक मनो उपचार देने के बाद भी जब उसे कोई लाभ नहीं हुआ तो रोजर को विचार आया कि इसकी आंख के नीचे (आमाशय के बिंदु) थपथपा कर उसका असर देखते हैं। जैसे ही उन्होंने उसकी आंख के नीचे थप्पी मारी, उसके आमाशय में दर्द हुआ और वह चिल्लाई। लेकिन चिल्लाने के साथ ही वह बोल उठी कि उसका पानी से डर खत्म हो गया है।  वह हंसती हुई दौड़ कर पास ही एक स्वीमिंग पूल गई और पानी से अपना मुंह धोने लगी। वह पूरी तरह ठीक हो चुकी थी। इस घटना से प्रेरित होकर डॉ. केलहन ने आगे शोध को जारी रखा और सिद्ध किया कि हमारी सारी नकारात्मक भावनाओं का कारण शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में रुकावट आना है। उन्होंने एक्युपंक्चर और काइनेसियोलोजी का समन्वय कर थॉट फील्ड थैरेपी विकसित की थी, जो उन्हों ने गैरी क्रेग को सिखलाई। गैरी क्रेग ने उसे और संशोधित कर ई.एफ.टी. के नाम से प्रचलित किया। आज लाखों लोग इसे अपना रहे हैं।
ई.एफ.टी. की मूल विधि (BASIC RECIPE OF EFT)
समस्या की परिभाषा और तीव्रता निर्धारण  
पहले आप अपनी समस्या या विकार को ठीक से महसूस करें तथा उसे सरल और स्पष्ट भाषा में परिभाषित करें, जिसे आप ई.एफ.टी. द्वारा ठीक करना चाहते हैं जैसे उदासी, सिर का दर्द, कमर का दर्द या गुस्सा आदि। अब अपनी समस्या या तकलीफ का उसकी तीव्रता के आधार पर आंकलन करें और उसे एक से लेकर दस अंक प्रदान करें। इसे हम तीव्रता सूचकांक कह सकते हैं। तकलीफ या समस्या सबसे ज्यादा हो तो उसे 10 अंक देंगे और सबसे कम हो तो 0 या 1 देंगे। चूंकि हम यह तीव्रता किसी पैमाने या मीटर से नहीं नापते बल्कि अपने विवेक से आंकलन करते हैं इसलिए इसको अंग्रेजी में सब्जेक्टिव यूनिट ऑफ डिसऑर्डर भी (Subjective Units of Disorder) कहते हैं।


स्वीकारोक्ति वाक्य बनाना
अब आप एक स्वीकारोक्ति वाक्य बनायेंगे। जिसकी भाषा इस तरह होगी, हालांकि मुझे यह समस्या है लेकिन मैं स्वयं को पूर्णता और गंभीरता से स्वीकार करता/करती  हूँ, अपने आप को प्यार करता/ करती हूँ। उदाहरण के लिए आपके सिर में दर्द हो रहा है तो आप कहेंगे कि  हालांकि मुझे सिर में दर्द है  लेकिन मैं स्वयं को पूर्णता और गंभीरता से स्वीकार करता हूँ, अपने आप को प्यार करता हूँ। ध्यान रखें कि पूर्णता और गंभीरता पर जोर देकर बोलना है। भाषा सरल रखें और आपकी समस्या स्पष्ट समझ में आ रही हो।  आपकी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली छोटे बच्चे के समान होती है, जो सरल भाषा ही समझती है। आपको एक छोटा और संक्षिप्त पुनरावृत्ति वाक्य भी बनाना है। यह सिर्फ आपकी समस्या को दर्शायेगा। जैसे उपरोक्त वाक्य के लिए पुनरावृत्ति वाक्य होगा सिर में दर्द । यह पुनरावृत्ति वाक्य आपको दूसरे चरण में थपथपाते समय बोलना है। अंग्रेजी में आपका वाक्य होगा "Even though I have (this problem), I deeply and completely accept myself." this problem की जगह अपनी समस्या लिखें।
ई.एफ.टी. की मुख्य  क्रिया को हम चार चरणों में बांट सकते हैं।
1.   रूपरेखा SETUP
2.   जादू की थप्पी THE TAPPING SEQUENCE
3.   नवकर्म प्रक्रिया  9 GAMUT PROCEDURE
4.   पुनरावृत्ति REPEAT THE TAPPING SEQUENCE

रूपरेखा (SETUP)
अब आपको स्वीकारोक्ति वाक्य तीन बार दोहराते हुए अपनी छाती पर स्थित दाहिने या बाएं या दोनों सुकुमार स्थल (Sore Spot) को अंगुलियों से रगड़ना है या कराटे चॉप पॉइंट को थपथपाना है। रगड़ने या थपथपाने में बहुत ज्यादा ताकत भी नहीं लगानी है।  सुकुमार स्थल मालूम करने के लिए गर्दन के निचले भाग में स्थित गड्डे में अंगुली रखें और तीन इंच नीचे जायें और फिर तीन इंच बगल की दिशा में अंगुली ले जायें। यही  सुकुमार स्थल (Sore Spot)  है। यदि इस जगह अंगुलियां रगड़ने या घुमाने में तकलीफ या दर्द हो तो आप  दूसरी तरफ के सुकुमार स्थल या कराटे चॉप पॉइंट को थपथपा सकते हैं।  हाथ के छोटी अंगुली कनिष्ठा के आधार और कलाई के बीच के मांसल हिस्से को कराटे चॉप पॉइंट कहते हैं।

जादू की थप्पी (THE TAPPING SEQUENCE)
इस चरण में आपको पुनरावृत्ति वाक्य  दोहराते हुए और अपना ध्यान समस्या पर कैंद्रित करते हुए चेहरे, छाती और हाथ के अमुक बिंदुओं को क्रमवार थप्पी लगाना है। थप्पी लगाने के लिए दाहिने या बांये किसी भी हाथ की दो अंगुलियां उपयुक्त रहती हैं, इससे बिंदु अच्छी तरह उत्साहित हो जाता है। हर बिंदु को सात बार थपथपाना चाहिये। इन बिंदुओं को थपथपाने से हमारी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली समझ लेती है कि हमें किस तकलीफ से छुटकारा पाना है। आप दाहिने या बांये किसी भी तरफ के बिंदु थपथपा सकते हैं और ध्यान रखे कि बहुत ज्यादा ताकत नहीं लगायें। सबसे पहला बिंदु भ्रकुटि बिंदु है जिसे आप सबसे पहले दो अंगुलियों से सात बार थपथपायेगे। इसके बाद विभिन्न बिंदुओँ को थपथपाते हुए आगे बढ़ेंगे। आपको लिए कुल 12 बिंदुओं को थपथपाना है जो मैं नीचे दे रहा हूँ।   
·         भ्रकुटि बिंदु  या EB = Eyebrow भौंह के अंदर वाली जगह पर स्थित होता है, जहां से भौंह शुरू होती है।
·         नेत्र पार्श्व बिंदु या SE = Side of Eye यह नेत्र के बाहरी किनारे के पास स्थित होता है, जहां भौंह खत्म होती है। 
·         अधो नेत्र बिंदु UE = Under Eye यह बिंदु आँख के एक इंच नीचे स्थित होता है।
·         अधो नासिका  बिंदु UN = Under Nose यह बिंदु नाक के नीचे और ऊपरी होंठो के ऊपर स्थित होता है।
·         ठुड्डी बिंदु CH = Chin यह बिंदु आपकी ठुड्डी के ऊपर और निचले होंठो के बीच स्थित होता है।
·         हंसली बिंदु CB = Collarbone यह गर्दन के निचले हिस्से में स्थित गड्डे के एक इंच नीचे और एक इंच बाहर स्थित होता है।
·         अधो स्तनाग्र बिंदु BN = Below nipple यह पुरुषों में स्तनाग्र के एक इंच नीचे और स्त्रियों में उस जगह स्थित होता है जहां  स्तन का निचला हिस्सा छाती से मिलता है।
·         अधो कक्ष बिंदु UA = Under Arm यह आपकी बगल में कांख से चार इंच नीचे स्थित होता है।
·         अंगुष्ठा बिंदु TH = Side of Thumbnail यह बिंदु अंगूठे पर नाखून के आधार के बाहरी सिरे पर स्थित होता है।
·         तर्जिनी बिंदु  IF = Side of Index Finger Nail यह बिंदु तर्जिनी पर नाखून के आधार के अंगुठे की तरफ स्थित होता है।
·         मध्यमा बिंदु MF = Side of Middle Finger Nail यह बिंदु मध्यमा पर नाखून के आधार के अंगुठे की तरफ स्थित होता है।
·         कनिष्टा बिंदु LF = Side of Little Finger Nail यह बिंदु कनिष्टा पर नाखून के आधार के अंगुठे की तरफ स्थित होता है।
·         KC = Karate Chop Point  
नवकर्म प्रक्रिया  9 GAMUT PROCEDURE  

नवकर्म प्रक्रिया  या 9 Gamut Procedure में आप अपने नवरस बिंदु को थपथपाते हुए 9 विभिन्न क्रियाएं करने है जैसे आँखों की अमुक क्रियाएं, गुनगुनाना, 1 से 5 तक गिनता गिनना आदि। ये क्रियाएं अजीब लगती हैं, पर ये मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को उत्साहित करती हैं और मस्तिष्क भी सीक्ष्म ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने में आपकी मदद करता है और आपकी तकलीफ जल्दी ठीक होती है। हालांकि नवकर्म प्रक्रिया  हमेशा नहीं की जाती है, लेकिन यदि ई.एफ.टी. की बाकी चरणों से लाभ नहीं मिले तो इसे भी करना चाहिये।
नवकर्म बिंदु हाथ के पृष्ठ सतह पर कनिष्ठा और अनामिका के आधार के बीच बने त्रिकोण पर स्थित होता है। नवकर्म प्रक्रिया में आपको इसी बिंदु को थपथपाना है। इस क्रिया के लिए आपको सामने देखना है और अपना सिर नहीं हिलाना है। अपना ध्यान समस्या पर कैंद्रित रखते हुए और नवकर्म बिंदु को दो अंगुलियों से थपथपाते हुए क्रमवार निम्न 9 क्रियायें संपन्न करें।
1.   आँखे बंद करे।
2.   आँखे खोलें।
3.   बिना सिर घुमाये फर्श पर हाहिनी तरफ देखें।
4.   बिना सिर घुमाये फर्श पर बांई तरफ देखें।
5.   नाक को धुरी मानते हुए आँखों को दक्षिणावर्त (Clockwise) गोलाई में घुमाएँ।
6.   अब आँखों को विपरीत दिशा में वामवर्त (Anti-clockwise) गोलाई में घुमाएँ।
7.   5 सैकंड तक किसी गाने का मुखड़ा गुनगुनायें।
8.   1 से 5 तक गिनती गिनें।
9.   5 सैकंड तक पुनः किसी गाने का मुखड़ा गुनगुनायें।

पुनरावृत्ति REPEAT THE TAPPING SEQUENCE
अब दूसरे चरण को एक बार फिर दोहराये। अर्थात सभी बिंदुओं को पुनरावृत्ति वाक्य  दोहराते हुए और अपना ध्यान समस्या समस्या पर कैंद्रित करते हुए सभी बिंदुओं को क्रमवार थप्पी लगाना है। इसके साथ ई.एफ.टी. का एक चक्र पूरा होता है। अब एक लंबा श्वास लीजिये और अपनी तकलीफ का पुनः आंकलन कीजिये और 1 से 10 के बीच अंक दीजिये। आपके समक्ष तीन परिस्थितियां हो सकती हैं।  आपकी तकलीफ में या तो पूरा लाभ मिल सकता है, कोई फायदा नहीं मिले या आपको तकलीफ में आंशिक फायदा हुआ हो। आंशिक लाभ मिलता है तो आपको ई.एफ.टी. के कुछ चक्र और दोहराने पड़ेंगे और हर बार तकलीफ का पुनः आंकलन भी करना पड़ेगा। आप देखेंगे कि आपकी तकलीफ में हर बार थोड़ा-थोड़ा फायदा होगा। यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि आपको थोड़ा फायदा दिखने पर स्वीकारोक्ति वाक्य और पुनरावृत्ति वाक्य में आपकी समस्या के पहले एक जुमला और जोड़ेगे, जो होगा बचा हुआ।  जैसे अब आपका स्वीकारोक्ति वाक्य होगा हालांकि मुझे सिर दर्द बचा है  लेकिन मैं स्वयं को पूर्णता और गंभीरता से स्वीकार करता हूँ, अपने आप को प्यार करता हूँ। ध्यान रखें कि पूर्णता और गंभीरता पर जोर देकर बोलना है और पुनरावृत्ति वाक्य होगा बचा हुआ सिर दर्द ।

लगभग 80 प्रतिशत रोगियों को इस उपचार से लाभ मिलता है। कई बार यह उपचार चमत्कार भी करता है। लेकिन यह भी हो सकता है कि आपको इस उपचार से कोई फायदा नहीं हो। ऐसी स्थिति में  आप देखें कि आपके स्वीकारोक्ति वाक्य में कोई त्रुटि तो नहीं है।  अपने विवेक से उसे बदल कर देखें। आप यह भी ध्यान रखें कि क्या आप तीव्रता सूचकांक  शून्य आने तक ई.एफ.टी. कर कर रहे हैं। सृजनशीलता, विश्वास, सकारात्मक सोच और धैर्य रखना हमेशा हितकारी होता है। जब भी कोई अड़चन आये निसंकोच किसी ई.एफ.टी. विशेषज्ञ से परामर्श करे। वह आपकी त्रुटियां सुधार देगा और आपको सही तरीके से ई.एफ.टी. करना सिखला दोगा। 


ई.एफ.टी. का वीडियो देखने के लिए यहां चटका करें।



3 comments:

जीवन और जगत said...

बहुत ही बढि़या जानकारी है डॉ0 वर्मा जी। बहुत बहुत धन्‍यवाद। एक सॉंस में मैनें पूरा लेख पढ़ डाला। लेकिन ठीक से समझने के लिए ध्‍यानपूर्वक दोबारा पढूँगा।

Shri Sitaram Rasoi said...

श्री घनश्याम मौर्य जी,
इस लेख के नीचे एक लिंक है जिसमें ई.एफ.टी. बहुत ही अच्छी तरह समझाई गई है। धन्यवाद।
डॉ. ओम

Shri Sitaram Rasoi said...

श्री घनश्याम मौर्य जी,
इस लेख के नीचे एक लिंक है जिसमें ई.एफ.टी. बहुत ही अच्छी तरह समझाई गई है। धन्यवाद।
डॉ. ओम