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16.11.15

पेरिस में रिस रहे आंसू, भारत रहे सतर्क

ख्वाबों में दरिंदगी की दस्तक है, आंखों में इंसानियत को खो देने के कारण जो लाशों की नुमाईश सजा दी गई है उसकी खातिर आंसुओं का सैलाब उतर आया है. पलकों में नमी आज उनकी यादों की गवाही दे रही है. मोमबत्तियां पिघलते हुए फ्रांस में मारे गए लोगों को अंतिम विदाई दे रही है. ख्वाब हों या फिर ख्वाहिशें, उम्मीदों के अलावा आशाएं भी कब्र में दफना दी गई हैं. जिसके लिए जिम्मेदार हैं वो नामुराद जो जुबानों से कट्टरपंथ का लबादा मानसिक तौर पर कमजोर लोगों के जहन में थोप देते हैं. जिहाद का एक अलग ही अर्थ तैयार करते हैं. भला मौत का नंगा नाच करके भी कोई आज तक सुखी रह पाया है. शायद क्या बिलकुल भी नहीं.



 फ्रांस में साल भर के अंदर चार बड़े आतंकी हमले गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहे हैं. इसके इतर ये भी जता रहे हैं कि वहां की सरकार ने इन हमलों को कितनी गंभीरता से लिया है. हाल ही में हुए हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस  ने ली है. जानकारी के मुताबिक इससे पहले हुए तीन हमलों में भी आईएस का ही हाथ था. दरअसल ये आतंकी संगठन अपने पैर पसारते हुए मौत के मतलब को बेहद हल्का करता जा रहा है. लेकिन इसके हमलों का माकूल जवाब रूस की ओर से ही बेहतर तरीके से दिया जा रहा है. पर सवाल उठता है कि जब ये संगठन पूरे विश्व के लिए खतरनाक है तो क्यों सारे देश मिलकर इसके खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहे. क्यों इसे जड़ से उखाड़ देने के लिए प्रयास नहीं कर रहे. करीबन 160 लोगों की कब्र तैयार करने के बाद फ्रांस ने अपने रूख को सख्त करने का निर्णय लिया है. फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोक का एलान करते हुए कहा कि अब हम भी इन हमलावरों से बेदर्दी से निपटेंगे, हमें पता है कि इसके पीछे कौन है और वे कहां से आए हैं.



आतंकियों का निशाना क्यों बन रहा है फ्रांस



माना जाता है कि पूरे यूरोप में फ्रांस ही मुस्लिम बाहुल्य है. जिसके कारण आईएस अपना स्लीपर सेल यहां आसानी से एक्टिव कर पाने में सफल होता है. वहां रह रहे कुछ लोग ही कट्टरपंथ का मतलब बताने के लिए खूनी खेल की बिसात बिछा देते हैं. इन सबके इतर फ्रांस सीरिया और इराक में अमेरिकी फौज का सहयोगी रहा है, साथ ही राष्ट्रपति ओलांद ने हाल ही में एलान किया था कि वो आईएस के खिलाफ जंग की खातिर ईराक के गल्फ इलाकों में एयरक्राफ्ट कैरियर भेजेंगे जिसकी वजह से भी आईएस के निशाने पर फ्रांस है.



भारत भी बन सकता है निशाना



देश 2008 के मुंबई हमलों में मिले जख्मों को आज भी याद कर सिहर जाता है. छलक उठती हैं आंखें उस मंजर को याद करके. लेकिन कश्मीर में आईएस के झंडे इस डर को और बढ़ा देते हैं. सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से आतंकी हमले की बार-बार चेतावनी लोगों के दिलों में हलचल पैदा कर देती है. दरअसल सवाल ये उठता है कि जब देश में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में राज्य सरकारें विफल हो रही हैं तो आतंकी हमले को रोकने के लिए कितने पुख्ता इंतजाम किए गए होंगे. बहरहाल आतंकी नावेद की गिरफ्तारी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि आतंकवादियों की नजरें भारत पर लगातार बनी हुई हैं. जिस लिहाज से सुरक्षा इंतजाम और कड़े करने होंगे. सांप्रदायिक माहौल के तैयार होने के सारे आसार को निश्त नाबूत करना होगा.



पेरिस हमले में लोगों की प्रतिक्रिया-



मानवता समर्थक शक्तियों का एकजुट होना जरूरी



पेरिस में हुए बर्बर आतंकवादी हमले को ‘मानवता पर हमला’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मांग की कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए संयुक्त राष्ट्र को आतंकवाद को परिभाषित करना चाहिए जिससे दुनिया यह जान सके कि कौन आतंक का समर्थन कर रहा है और कौन उसके खिलाफ है. पेरिस आतंकी हमले की निंदा करते हुए मोदी ने कहा, ‘पेरिस में शुक्रवार को जो हुआ, वह मानवता पर हमला है और दुनिया को यह स्वीकार करना चाहिए कि यह केवल पेरिस पर हमला नहीं है, केवल फ्रांस के नागरिकों पर हमला नहीं है और न ही केवल फ्रांस पर हमला है बल्कि मानवता पर हमला है’. 12वीं शताब्दी के भारत के महान दार्शनिक बसवेश्वर की प्रतिमा का अनावरण करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह मानवतावादी सिद्धांतों पर हमला है, इसलिए मानवता में जो भी ताकतें विश्वास रखती है, उन्हें एकसाथ आकर ऐसे हमलों की निंदा करनी चाहिए. मानवता विरोधी शक्तियों को शिकस्त देने के लिए सभी मानवता समर्थक शक्तियों को एकजुट हो जाना चाहिए.



पागलपन का आतंकवाद



वेटिकन सिटी के स्पोक्सपर्सन फॉदर फेडेरिको लोम्बार्डी ने एक स्टेटमेंट में कहा- यह पागलपन आतंकवाद है. हम इसकी निंदा करते हैं. नफरत में हिंसा करने वालों को जवाब दिया जाना चाहिए.



आतंकियों की ये करतूत है कायराना



अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेरिस हमले पर दुख जताते हुए आतंकियों की इस हरकत को कायराना बताया है. ओबामा ने कहा कि ये मानवता पर हमला है. अमरीका पूरी तरह से फ्रांस के साथ खड़ा है.



हर संभव मदद का दिया भरोसा



डेविड कैमरन ने ट्वीट किया कि पेरिस में हुई घटना से मैं स्तब्ध हूं. हम लोग पूरी तरह से फ्रांस के लोगों के साथ हैं. हमसे जो भी मदद हो सकेगी, हम करेंगे.



बहरहाल इन सारी प्रतिक्रियाओं के अलावा त्वरित और सख्त की कार्यवाही की जरूरत है. क्योंकि इन आतंकी हमलों के बाद लोगों की जुबानें सुरक्षा तलाश रही हैं सुरक्षित मुल्क की ओर पलायन की योजना बना रही हैं पर असल में जिहाद का पाखंड करने वालों की मंशाओं के सामने कहां और कौन सा कोना महफूज है. सवाल है जवाब की तलाश में. सुरक्षा का भरोसा हर उस हमले जिसमें तमाम यादें फंसकर दम तोड़ देती हैं उनके सामने बौना साबित हो जाता है.



हिमांशु तिवारी ‘आत्मीय’

08858250015

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