सूचना का अधिकार अभियान उ. प्र. की वाराणसी इकाई द्वारा आज से एक जन अभियान का प्रारम्भ किया गया जिसके माध्यम से सूचना के अधिकार का दायरा बढ़ाने की मांग की जा रही है. आज सायं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मुख्य द्वार (लंका) पर आयोजित हस्ताक्षर अभियान के दौरान आयोजकों ने बताया की देश में सूचना का अधिकार लागू हुए 10 वर्ष पूरे हो गए. इस एक दशक में यह कानून अपने शैशवावस्था से किशोरावस्था की ओर अग्रसर है अब इसे और ताकत प्रदान किये जाने की आवश्यकता है अतः इसमें वांछित संशोधन कर के इसके अधिकार क्षेत्र को व्यापक बनाना चाहिए. किसी भी प्रकार से सरकारी सुविधा, लाभ, छूट, अनुदान प्राप्त करने वाली सभी संस्थाओं जिसमे राजनैतिक दल, सामाजिक संस्थाएं (NGOs), धार्मिक संस्थाएं, औद्योगिक घराने और मीडिया समूह शामिल हैं को भी अनिवार्य रूप से सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाया जाना चाहिए. इससे आम जनता के टैक्स के पैसे के उपयोग के प्रति पारदर्शिता आएगी.
आयोजकों के अनुसार आम जनता सरकार को विभिन्न प्रकार से “कर” (Tax) देती है जिससे हमारा तंत्र संचालित होता है. सभी पंजीकृत राजनैतिक दलों को आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत आयकर में छूट प्रदान होती है. इसी प्रकार धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं भी अपने सामान्य, कार्पोरेट और विदेशी चंदे पर कर में छूट प्रदान करती हैं, औद्योगिक घरानों और मीडिया समूहों को भी विभिन्न प्रकार से जैसे सरकारी भूमि, सहायता,अनुदान, सुविधा और छूट मिलती है अतः उन्हें आम जनता के प्रति पारदर्शी और जवाबदेह होना ही चाहिए. इसके लिए सूचना के अधिकार को और व्यापक बनाना जरूरी है और ऐसे सभी संस्थाओं को भी इसके दायरे में लाया जाना आवश्यक है.
हस्ताक्षर अभियान के दौरान प्रधानमंत्री को संबोधित प्रपत्र पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं जिसमे मांग की जा रही है कि:
1. 1. सभी राजनीतिक दल, सामाजिक संस्थान, धार्मिक संस्थान, औद्योगिक संस्थान एवं मीडिया समूह जो कर में छूट या अन्य प्रकार की सरकारी सुविधा प्राप्त करते हैं को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाया जाय.
2 २. देश में जन लोकपाल कानून का प्रभावी ढंग से अनुपालन हो, लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति शीघ्र की जाय.
3. 3. भ्रष्टाचार के मामले उजागर करने वाले नागरिको की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाये जाय और ऐसे लोगों को प्रोत्साहित किया जाय.
अभियान में प्रमुख रूप से धनंजय त्रिपाठी, चिंतामणि सेठ, विनय सिंह, डा अवधेश दीक्षित, अजय पटेल, प्रदीप सिंह, वल्लभाचार्य पाण्डेय, रवि शेखर, सूरज पाण्डेय, प्रेमनाथ सोनकर, रामजी पाण्डेय, जय देव पाण्डेय, वागीश मिश्र, अरविन्द मिश्र, देवेन्द्र त्रिपाठी, इशान त्रिपाठी, अस्पताली सोनकर, धीरज गुप्ता, राजीव झा, विनय शुक्ला, विजय कुमार, सुनील यादव, सुनील राय आदि शामिल रहे.
1.11.15
सरकारी सुविधा और छूट पाने वाली सभी संस्थाओं को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाया जाय
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