25.11.15
चूरू के दुलाराम सहारण को मिला गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार
झुंझुनू । कोटा के ज्ञान भारती संस्थान की ओर से दिया जाने वाला प्रतिष्ठित गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार शनिवार को कोटा में आयोजित समारोह में वर्ष 2015 के लिए चूरू के साहित्यकार दुलाराम सहारण को प्रदान किया गया। उनकी कृति ‘आंगणै री ओळूं’ के लिए दिए गए पुरस्कार में उन्हें ग्यारह हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के कुलसचिव व ख्यातनाम साहित्यकार अंबिका दत्त चतुर्वेदी ने कहा कि साहित्यकार के पास ही यह जिम्मा होता है कि वह काल को लांघते हुए सृजन करे। वह अपने सृजन के समय वर्तमान, भविष्य और भूतकाल तीनों में विचरण करता है। काल के इस अतिक्रमण के साथ ही यदि लोक चेतना का सम्यक निष्पादन उसकी रचनाओं में हो जाए तो वह सृजन कालजयी बन जाता है।
अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार डॉ बद्रीप्रसाद पंचोली ने बताया कि शब्दों की गरिमा ही भाषा की ताकत होती है। राजस्थानी के पास शब्दों की वह ताकत है, जो किसी भी भाषा की पहली जरूरत होती है। आरंभ में मां सरस्वती व साहित्यकार स्व. गौरीशंकर कमलेश के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया। किशन लाल वर्मा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। भगवती प्रसाद गौतम, रामकुमार शर्मा, चौथमल प्रजापति, योगीराज योगी, इंद्र बिहारी सक्सेना ने मालार्पण कर अतिथियों का स्वागत किया। पुरस्कृत साहित्यकार का परिचय रामगोपाल इसराण ने प्रस्तुत किया। इस दौरान सीएल सांखला व विष्णु विश्वास को सम्मानित किया गया। दिनेश मालव, देवकीनंदन, कांतिचंद्र भारद्वाज ने गौरीशंकर कमलेश की कविताएं पढीं। संस्थान निदेशक कमला कमलेश ने स्वागत भाषण दिया। संस्था सचिव एडवोकेट सुरेंद्र शर्मा ने आभार जताया। संचालन आनंद हजारी ने किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1994 से निरंतर दिए जा रहे इस पुरस्कार की 22 वीं कड़ी में पुरस्कृत होने वाले दुलाराम सहारण का जन्म चूरू जिले के गांव भाड़ंग में मनफूलराम सहारण एवं जहरोदेवी के घर 15 सितम्बर 1976 को हुआ। इससे पूर्व उन्हें साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, श्रीमती बसंती देवी धानुका युवा साहित्यकार पुरस्कार, भत्तमाल जोशी महाविद्यालय स्तरीय साहित्य पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं। चूरू के साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठन प्रयास संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष सहारण की कथाकृति ‘पीड़’, बाल साहित्य पुस्तक ‘जंगळ दरबार’, ‘क्रिकेट रो कोड’ सहित अनेक पुस्तकें चर्चा के केंद्र में रही हैं। ‘आंगणै री ओळूं’ कृति जीवन-वृत्तांत की राजस्थानी कृति है। सहारण प्रयास संस्थान की राजस्थानी अनुवाद पत्रिका ‘अनुसिरजण’ के संपादक भी हैं।
रमेश सर्राफ
झुंझुनू
राजस्थान
9414244034
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment