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1.11.15

हिन्दू कालेज में प्रेमचंद की कहानियों पर नाटक का मंचन

नई दिल्ली। 'प्रेमचंद ने जातिभेद पर तीखा प्रहार किया है जो हमारे समाज के लिए आज भी रोशनी का स्रोत है। कफ़न और सद्गति से काफी पहले मुक्ति मार्ग में वे इस समस्या से गंभीर मुठभेड़ कर चुके थे और उनका लेखन इस समस्या को दिखाता ही नहीं अपितु इस समस्या को हल करने की दिशा भी देता है।' सुपरिचित लेखक और संस्कृतिकर्मी विकास नारायण राय ने हिन्दू कालेज में हिन्दी नाट्य संस्था 'अभिरंग' द्वारा प्रेमचंद की दो प्रसिद्ध कहानियों 'कफ़न' एवं 'सद्गति' के मंचन के अवसर पर कहा कि देश की युवा पीढ़ी प्रेमचंद से निकटता महसूस करती है और उन्हें प्रासंगिक समझती है यह सचमुच बड़ी बात है।









इस अवसर पर इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो अनूप बेनीवाल ने कहा कि प्रेमचंद का लेखन हमारे देश और समाज का भूतकाल ही नहीं बताता अपितु यह वर्तमान का भी चित्रण कर रहा है। प्रो बेनीवाल ने कहा कि हम सबको मिलकर कोशिश करनी चाहिए कि प्रेमचंद द्वारा चित्रित सामाजिक समस्याएँ भविष्य के भारत में न हों। इससे पहले 'अभिरंग' के युवा अभिनेताओं ने इन दोनों कहानियों का प्रभावशाली मंचन किया जिसमें घीसू और माधव की भूमिकाएं पीयूष और आदर्श मिश्रा ने निभाई। वहीं सद्गति में दुखी का अभिनय रजत और पंडित का आदर्श ने किया। दोनों नाटकों में तनूजा, अतुल, महेंद्र,अनुपमा, आकांक्षा,अनुपम, नीरज, ऋषिका, आशुतोष, पिंकी ने अभिनय किया। सूत्रधार के रूप में शिवानी, स्नेहदीप और पूजा ने नाटक को गति दी। दोनों कहानियों की प्रस्तुति भी थी।

नाटक के निर्देशक युवा रंगकर्मी और एम ए के विद्यार्थी कपिल कुमार ने सभी पात्रों का अभिनय कर रहे विद्यार्थियों का परिचय दिया और इन कहानियों को मंचन के लिए चुनने की प्रेरणा बताई। मंच सज्जा नीरज, ज्योति और  गार्गी की थी। हिन्दू कालेज के खचाखच भरे प्रेक्षागार में कॉलेज के अलावा अनेक अन्य संस्थानों से आये दर्शक भी उपस्थित थे। आयोजन में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के प्रो आशुतोष मोहन, रंगकर्मी अनूप त्रिवेदी, जाकिर हुसैन कालेज के नवीन रमण, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ विजया सती, डॉ  रामेश्वर राय, डॉ  अभय रंजन, डॉ विमलेन्दु तीर्थंकर सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे। आभार प्रदर्शित करते हुए अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने कहा कि जिस समाज में धर्मसत्ता और सामंती संस्कार गहराई से मौजूद हों वहां प्रेमचंद की कहानियाँ और भी जरूरी हो जाती हैं।


शशांक द्विवेदी
द्वारा अभिरंग
हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्विद्यालय
दिल्ली - 110007

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