वाराणसी में शिक्षा के अधिकार के तहत निजी विद्यालयों में अध्ययनरत 115 छात्रों को ड्रेस और पुस्तकें उपलब्ध कराई जांय .
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दृष्टिगत उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुपालन के साथ साथ प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन के लिए सकारात्मक कदम उठाने के लिए सरकार पर जनदबाव बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान संचालित किया जा रहा है, इस क्रम में आज 3 नवम्बर को वाराणसी बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समक्ष शिक्षा का अधिकार अभियान और सूचना का अधिकार अभियान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हस्ताक्षर अभियान में सैकड़ों लोगो ने हस्ताक्षर किये.
हस्ताक्षर अभियान के दौरान परचा भी वितरण किया गया जिसके माध्यम से परिषदीय विद्यालयों मे शिक्षा की गुणवत्ता के सम्बन्ध में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गत दिनों दिए गए आदेश जिसमे कोर्ट ने सभी नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों के लिए उनके बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़वाना अनिवार्य किये जाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है को ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसला बताया गया है और आम जनता को इस फैसले का समर्थन करने की अपील की जा रही है. कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि इस फैसले से परिषदीय स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार की चर्चा समाज के हर स्तर पर प्रारंभ हुयी है, इसे सार्थक और व्यावहारिक स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से ही यह अभियान संचालित किया जा रहा है. यह अभियान बच्चो को उनके अधिकार दिलाने के समर्थन में है क्योंकि परिषदीय प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पढने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का पूरा अधिकार है.
इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सक्षम अधिकारी से मिल कर उन्हें शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत 25 % बच्चो के निजी विद्यालयों में प्रवेश देने की व्यवस्था तहत वाराणसी में इस सत्र के दौरान किये प्रवेश लिए हुए लगभग 115 बच्चों की परेशानियों से अवगत कराते हुए इस पर कार्यवाही की मांग की. ज्ञातव्य है कि इन बच्चो का प्रवेश विगत माह में शहर कई स्कूलों में हुआ है लेकिन न तो इन्हें पुस्तकें मिली हैं न ही युनिफ़ार्म, इनके शुल्क की प्रतिपूर्ति विद्यालय को न मिलने के कारण ये निजी विद्यालय इन बच्चो की पढ़ाई की व्यवस्था नही कर रहे हैं, साथ ही कुछ स्कूलों द्वारा परीक्षा शुल्क के नाम पर वसूली भी की गयी है.
सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान के संयोजक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को आम जनता द्वारा लगातार हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रेषित कर जन भावना से अवगत कराया जा रहा है. हमारे ज्ञापन में मांग की जा रही है कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के दृष्टिगत सार्थक कदम उठाये जांय, सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करें, बच्चो का गणवेश (यूनिफार्म) आकर्षक हो, स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जांय तथा साफ सुथरे शौचालय बच्चो के लिए उपलब्ध हों. दूर दराज के स्कूलों में शिक्षको की कमी तत्काल समाप्त की जाय. शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय. प्रत्येक विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो. विद्यालय प्रबंध समितियों को अधिकार वास्तव में प्रदान किये जांय, स्कूलों में सत्र के प्रारंभ में ही बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध कराई जांय. प्रदेश भर के निजी विद्यालयों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगे तथा सभी के लिए समान शिक्षा की नीति व्यवहारिक रूप से लागू की जाय.
हस्ताक्षर अभियान में प्रमुख रूप से डा आनंद तिवारी, अजय पटेल, राम जनम भाई, विनय सिंह सुरेश राठोर, वल्लभाचार्य पाण्डेय , दीन दयाल सिंह, सूरज पाण्डेय, प्रदीप सिंह, नंदलाल मास्टर, सतीश सिंह, विजय त्रिपाठी, माया देवी, सीमा देवी, सोनी देवी, मोना, बबिता देवी, कोमल, दिनेश, सचानु, हरिनाम, एस पी सिंह आदि का विशेष योगदान रहा.
भवदीय
वल्लभाचार्य पाण्डेय
संयोजक
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