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15.12.07

हालचालः शादी, नौकरी और हिंदी ब्लागिंग पर कवर स्टोरी

दो दोस्तों का बियाह हो गया। कुछ का होने वाला है। लगे रहो भाइयों। कानपुर में आईनेक्स्ट वाले ठाकुर धर्मेंद्र सिंह ने अपनी बर्बादी की कहानी खुद अपने हाथों लिख ली है और शादी कर ली है। बड़े धूमधाम से हल्दी लगवाया और दुल्हन ले आये। खैर, ये ऐसी बर्बादी है जिसे सब लोग हंस हंस कर स्वीकार करते हैं, फिर बाद रोते हैं। लेकिन बेहद जरूरी और अनिवार्य बर्बादी जिसमें आबादी की गुत्थी छुपी हुई है। इसी तरह अपने राजपाल मीणा राजस्थान वाले से न रहा गया। आखिर में शादी कर ही ली। भाई ने बड़े प्यार से बुलवाया था लेकिन इ सकुरी नोकरी ने न तो धर्मेंद्र के यहां जाने दिया और न ही राजपाल के यहां। लेकिन दोस्तों दिल से दोनों की शादियों में मैं मौजूद रहा हूं। उम्मीद है, ये दोनों जोड़े जिंदमी में विश्वाश और प्यार की जो इबारत लिखेंगे उसके लिए मेरी शुभकामनाएं तहे दिल से स्वीकारेंगे। आगे आने वाले दिनों में कई साथियों की शादियां हैं। जिनके बारे में मुझे पता है उनके नाम गिनाना चाहूंगा...कानपुर में हिंदुस्तान वाले मनीष और अमर उजाला वाले पीयूष की आगे आने वाले दिनों में शादियां हैं। इसके अलावा फैजाबाद वाले अपने बड़े भाई गोपाल राय भी जल्द ही हल्दी लगवाने वाले हैं। इन सभी शादियों के लिए शुभकामनाएं।

एक खबर ये है कि अपने नवभारत टाइम्स वाले विजय झा अब दैनिक जागरण के साथ हो लिए हैं। बाजार के सूत्र बताते हैं कि माल अच्छा खासा मिला है लेकिन किसी विश्वस्त सूत्र या आधिकारिक सूत्र ने अभी तक मुंह नहीं खोला है। लेकिन अब ये बात कोई भी समझ सकता है कि उलटी गंगा बहाने के लिए मेहनत तो की ही गई होगी। नवभारत टाइम्स ने अमर उजाला और दैनिक जागरण के ढेर सारे होनहारों के अपने नए एनसीआर वाले अखबार के लिए तोड़ लिया था। इससे दोनों ही अखबारों को दिल्ली में थोड़ी स्टाफ क्राइसिस झेलनी पड़ रही है। विजय कुमार झा का नभाटा से दैनिक जागरण जाना उलटी गंगा बहने की तरह ही है लेकिन ये नया नहीं है क्योंकि हाल के दिनों में क्वालिटी को लेकर जो सजगता जागरण, उजाला और भाष्कर आदि में आई है इसके चलते पैसे रुपये वाले बैरियर टूटने लगे हैं और ये अखबार अच्छे लोगों को हर दाम और हर पद पर लाने के लिए तैयार होने लगे हैं। इसी के चलते हिंदुस्तान और नभाटा के कइयों लोग अब उजाला, जागरण और भाष्कर ज्वाइन करने लगे हैं। इसे एक अच्छे संकेत के रूप में लेना चाहिए। इससे उम्मीद बंधती है कि क्वालिटी की इस जंग के कारण अखबारों के अंदर का सिस्टम बेहद ट्रांसपैरेंट और मेरिट वाला हो जायेगा जिससे प्रतिभाशाली पत्रकारों को कुंठित होने के मौके कम मिलेंगे।

तीसरी खबर है कि अमर उजाला में हिंदी ब्लागिंग पर अबकी कवर स्टोरी प्रकाशित हुई है। आज के अंक में जो फीचर परिशिष्ट है उसमें कवर स्टोरी की हेडिंग है ....कहो न ब्लाग है। इस स्टोरी के जरिए ब्लागिंग की दुनिया को पूरे देश के आम जन तक पहुंचाने की कोशिश की गई है जो काफी सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है। इस कवर स्टोरी के लेखक अनुराग मिश्र को इस नेक काम के लिए धन्यवाद और पूरी फीचर टीम को इस आइडिया पर काम करने के लिए बधाई....। उम्मीद है हिंदी और तकनीक को लेकर इस तरह के लेख समय समय पर इन अखबारों में मिलते रहेंगे। इससे पहले अमर उजाला में ही संपादकीय पेज पर भूपेंद्र सिंह ने हिंदी ब्लागिंग पर लिखा था।

फिलहाल तो यही सारी खबरें हैं। ...बाकी साथियों से अनुरोध है कि अगर आप के आसपास कुछ घटित हो रहा है तो जरूर भड़ास से शेयर करें, yashwantdelhi@gmail.com या 09999330099 के माध्यम से।
जय भड़ास
यशवंत

6 comments:

Neelima said...

यशवंत जी हो सके तो यह कवर स्टोरी हमें भी पढवाऎ !!

Unknown said...

yashwant ji vakai me mujhe blog wali story pasand ayi.

Anonymous said...

ब्लाग पर बेबाक कवर स्टोरी के लिये अनुराग मिश्र को साधुवाद्.. पढ़कर लगा बन्दे ने मेहनत की है...

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

यशवंत जी, जयपुर में अमर उजाला आसानी से नहीं मिलता। हो सके तो इसे अपने ब्लाग पर डलवाएं ताकि हम लोग भी पढ़ सकें या लिंक हो तो उसकी जानकारी उपलब्ध करवाइए।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

यशवंत जी, जयपुर में अमर उजाला आसानी से नहीं मिलता। हो सके तो इसे अपने ब्लाग पर डलवाएं ताकि हम लोग भी पढ़ सकें या लिंक हो तो उसकी जानकारी उपलब्ध करवाइए।

राजीव जैन said...

आप इस लिंक से अमर उजाला की ब्‍लॉग वाली स्‍टोरी पढ सकते हैं

http://www.amarujala.com/Hotspot/innerpage.asp?sec_id=10&id=3182