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20.3.08

होली रंगों का त्योहार

होली रंगों का त्योहार
वर्ण वर्ण रंग अनेक भाँति से
करते भ्रातृत्व का प्रचार
होली रंगों का त्योहार
मानव में छिपी कटुता को
प्रेम में परिणित कर दो
अपने द्वेष भाव मिटा कर
भ्रातृत्व से भर दो
होली का संदेश यही है
हो सर्वत्र प्रेम विस्तार
होली रंगों का त्योहार
लाल, नीला, पीला, गुलाल
पुकार पुकार यह कहता
हम जैसे हिल मिल जाते है
मानव क्यों नहीं मिलता
अचेतन चेतन को समझाए
प्रकृति का अजब उपहार
होली रंगों का त्योहार
इतिहास साक्षी है बर्बरता से
कुछ ना हासिल होता है
जब वह अपना अहं त्यागे
तभी वह बुद्ध कहलाता है
इतिहास से सीखो मानव
करो प्रेम प्रचार
होली रंगों का त्योहार
होली आ गई हमें सिखाने
वैमनस्य का त्याग कराने
अब भी समय है छोड़ो मानव
अपने सभी विकार
होली रंगों का त्योहार

2 comments:

हरे प्रकाश उपाध्याय said...

rajnish bhaee achchha rng hai holi mubark

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

रजनीश भाई,आपको और आपके परिवार व इष्ट मित्रों को बहुत सारी शुभकामनाएं ,सुन्दर कविता और उससे भी ज्यादा सुन्दर भाव हैं