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2.4.08

जय-जय यशवंत

जय-जय यशवंत
ब्लागर के मैदान में अजय हुए यशवंत
जुड़े संग में ढ़ाईसौ शब्द भड़ासी संत
श्रमसौरभ यशवंत का साबित हुआ अनंत
विजय पताका आपकी लहराए अरिहंत।
पं. सुरेश नीरव
मो.९८१०२४३९६६

4 comments:

अबरार अहमद said...

बडे भईया बहुत खूब। प्रणाम स्वीकार करें।

Anonymous said...

सही में मजा आ गया सुरेश दा...यशवंत प्रभु की महिमा का जितना वर्णन किया जाए वह कम ही है.
हिला दिए हो बुढ़वा भैया

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

पंडित जी ने कह दिया हम पतितों को संत
अब तो दारू छोड़िये हे दादा यशवंत
हे दादा यशवंत कहानी बड़ी पुरानी
गांजा सुल्फ़ा खींचिये रहेगी बनी जवानी

Anonymous said...

हद हो गयी पंडित जी ने सभी भडासियोंको संत बना दिया और उसके उस्ताद हमारे यशवंत दादा ,
मगर मुझे तो ये पंडित जी नीरव नही नारद लग रहे हैं जो बस सभी का गुणगान ही करते हैं,
हा हा हा हा हा हा

पंडित जी इस बच्चे को माफ़ कीजियेगा क्या करें अभी तक मूर्ख दिवस की खुमारी नही उतरी है।

जय भडास
जय जय भडास