Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

22.6.08

ब्राह्मणों के लिए मुर्ग भक्षण आवश्यक क्यों

ब्राह्मणों के लिए मुर्ग भक्षण आवश्यक क्योंदरअसल ऐसी कोई बंदिश आदिकाल से नहीं थी.इसका विधान सतयुग के अंतिम काल के दौरान किया गया.हुआ यह कि अपने देवसुलभ गुणों के कारण देवराज इंद्र एक अनिंद्य सुंदरी तपस्विनी ब्राह्मण बाला से अभिसार करने की इच्छा पाल बैठे.काफी दिनों तक मानसिक अभिसार करने के बाद इंद्र ने फिजिकल रिलेशन बनाने का एक तरीका सोचा.तरीका क्या साजिश रची.इंद्र ने अपनी साजिश में अपने मित्र चंद्रदेव को सहयोगी बनाया.योजनानुसार चंद्र ने जंगल में जाकर मुर्ग बिरादरी को देवराज इंद्र की इच्छा की पूर्ति में सहभागी बनने को कहा.बदले में उन्हें तुरंत मुकुटधारी होने वरदान मिल गया.चंद्र ने खुद भी मुर्गे का रूप धारण कर लिया.मध्यरात्रि में चंद्र ने उस ब्राह्मण बाला अहिल्या के तपस्वी पति युवा ऋषि गौतम की कुटिया के समक्ष बांग दी.उनके बांग देते ही कुटिया के आस-पास के सारे मुर्गे बांग देने लगे.ब्रह्ममुहूर्त हो गया है.यह जान गौतम अपनी पत्नी अहिल्या को कुटिया में सोती छोड़ गंगास्नान के लिए निकल पड़े.उनके निकलते ही इंद्र उनका रूप धारण कर अहिल्या के बेड पर जा पहुंचे.चूंकि इंद्र गौतम के रूप में थे,इसलिए अहिल्या ने पति समझ पूरी मानसिक संलिप्तता व तन्मयता के साथ उनसे सेक्स एनकाउंटर किया.उधर गौतम गंगा किनारे पहुंचे तो वहां रोज की तरह गंगास्नान के लिए आने वाले अन्य ऋषि मुनि दिखाई नहीं दिए तो उनका माथा ठनका.तब उन्होंने अपने तपबल से बजिरये सेटेलाइट अपनी कुटिया का सीन देखा तो उन्हें इंद्र की कुटिलता का पता चला. वह उलटे पांव वापस लौटे.उसी समय इंद्र उनकी कुटिया से निकल रहे थे.गौतम ने उन्हें श्राप दिया-तुमने एक वेजाइना के लिए ऐसी घिनौनी हरकत की.तुम्हारे शरीर में हजार वेजाइना हो जाएंगी.पत्नी को शिला बन जाने का श्राप दिया.चंद्र का तो अस्तित्व समाप्त हो जाने को ही कह दिया.मुर्ग बिरादरी को श्राप दिया कि आज के बाद से ब्राह्णणों का परम कर्तव्य होगा तुम्हारा वंश नष्ट करना और इसकी पूर्ति के लिए प्रतिदिन कम से कम एक मुर्गे का वध कर उसका भक्षण करना.गौतम का गुस्सा कुछ ठंडा हुआ तो पहले इंद्र ने अपनी सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका उनके समक्ष पेश की.ऋषिवर ने उनकी याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उनके शरीर पर प्रकट हो चुकीं एक हजार वेजाइना को आंखों में परिवर्तित कर दिया.चंद्र ने इंद्र को मिली रियायत को आधार बनाते हुए अपनी अपील डाली तो उन्हें भी रियायत मिल गई.गौतम ने कहा कि अब तुम महीने एक दिन अदृश्य रहोगे.और एक दिन संपूर्णता में नजर आओगे.चौदह दिन क्रमशःघटते रहोगे तो चौदह दिन क्रमशः बढ़ते नजर आओगे.अहिल्या को उन्होंने कहाकि त्रेतायुग में भगवान राम के स्पर्श से तुम पुनः नारी बन जाओगी और हमारा मिलन होगा.सबसे अंत में मुर्ग सरदार की अपील फाइल हुई.गौतम ने उनकी भी अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहाकि तुम्हारा वंश नष्ट करने का ब्राह्णण-पुत्रों को दिया गया आदेश मैं वापस लेता हूं.तुम्हारा वंश चलेगा ब्राह्णण-पुत्रों को तुम्हारा वध करना आवश्यक नहीं होगा लेकिन उनके लिए मुर्ग भक्षण की बाध्यता प्रभावी रहेगी.यह मेरा अपने वंशजों को निर्देश है. इसलिए हे तात २४ कैरेट के हर ब्राह्णण को मुर्ग भक्षण आवश्यक है.क्यों उस साले के पूर्वज एक ब्राह्णण बाला के साथ हुए रेप के मामले में धारा १२० बी के अपराधी रह चुके हैं.जो ब्राह्मण ऐसा नहीं करता वह अपने महान पूर्वज ब्रह्मृषि गौतम के आदेश का उल्लंघन कर उनकी आत्मा को कष्ट पहुंचाने का अपराध करता है

3 comments:

बवाल said...

Aapne Murg dwaara gautam ko diye gaye counter shaap ka zikra to kiya hee nahin panditjee. Vo ye ke itne buddhe hoker ke itnee kamsin bala ke saath shaadi karte ho aur hum logon kee laar tapakvaate ho. Jaao humain dukaano per latakta dekh tumhaare vanshajon kee bhee laar tapka karegee aur anivaarya hone ke baad bhee humain duniyan kee nazar se chhup kar hee khaa paoge, kyonke log yahi kahenge----
tum kahe ke pandit ? jo ke murga khate ho. Batlaiye hai ke nahin ? sahi baat.

ताऊ रामपुरिया said...

हे आर्य पुत्र श्री जगदीश जी त्रिपाठी, हे ब्राह्मण शिरोमणि, हे महान तपस्वी , आपको बारम्बार प्रणाम ! हे ऋषि पुत्र आप धन्य हैं | प्रभो , सबको दर्शन देकर कृतार्थ करें |
प्रभो , आपके पते का पता अति शिघ्र दें जिससे
आपके दर्शन करके वे ब्राह्मण बालक , जो मुर्ग
भक्षण तो करना चाहते हैं , पर हिम्मत नहीं कर पाते उनकी हिम्मत और मार्ग दर्शन के लिये आपका शुक्रिया अदा कर सके | आप बधाई के पात्र हैं | प्रत्यक्ष दर्शन की अति उत्कंठा हैं |

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

प्रभु श्री, ऐसी जितनी कथाएं हों उनका एक संग्रह प्रकाशित करना चाहता हूं ताकि हिंदू,आर्य,सनातनधर्मी वगैरह कहलाने वाले अपने अतीत पर शर्मिन्दा होकर पानी-पानी हो जाएं और गिलासॊं में भर जाएं.... प्रतीक्षा रहेगी.... आपने जैनों से क्या पाया??? इस बात को अधूरा छोड़ कर एक पूर्ण प्रश्न जगा रहा हूं.... कदाचित कुछ पुराने भड़ासी समझ पाएं...
जय जय भड़ास