अख़बार में पढ़ा की बिहार में बाढ़ परभावित इलाको में कुछ दलाल बच्चो की तस्करी केर रहे है। ये वो बच्चे है जिनके माँ-बाप उनसे बिछड़ गए है या जिनके माँ-बाप इस हालत में है की वो उन्हें नही संभल प् रहे है।
कारन चाहे कुछ भी हो इस बाढ़ ने दलालों की पो-बारह कर दी है। ये दलाल इन बच्चो को dehli या मुबई की जरी कारखानों में बेच देते है जहा इनसे जन्वेरो की तरह कम लिया जाता है। मई सिर्फ़ ये सवाल करना चाहता हु की वो दलाल जो इन बच्चो को उनके माँ-बाप से अलग करके चन्द पैसो के लिए बेच देते है और वो लोग जो उन्हें खरीदते
है क्या ये लोग भी हमारी ही तरह इन्सान है?
भरोसा तो नही होता । क्या उन्होंने कभी सोचा है की ये बच्चे भी किसी के जिगर के टुकड़े है। क्या उन्होंने कभी सोचा है की अगर ऐसा ही सुलूक उनके ख़ुद के बच्चो के साथ हो तो उन पैर क्या गुजरेगी?
क्या उन्होंने कभी सोचा है ये बच्चे कितनी तकलीफ सहते है सिर्फ़ उनके लालच के कारन?
नही मुझे नही लगता की उन्होंने कभी भी ये सोचा होगा और इसीलिए कम से कम मैं तो इन दलालों को और उन कारखानों के मालिको को इन्सान मानने के लिए तैयार नही हु क्या आप इन्हे इन्सान मानते है?
अगर हा तो माफ़ी चाहुगा लकिन ऐसे इन्सान से जानवर होना बेहतर है और अगर नही तो आइये हम लोग मिल कर इन लोगो को उस समाज से बहार निकल दे जिसे हम सैभय समाज कहते है। आईये उन चहरो से नकाब उतार फेंके जो नीचे से तो काले है लेकिन उनपर पैसे और रुतबे की सफेदी पूत रेखी है।
1 comment:
ये इन्सान है या हैवान?
पूछनेवाली बात है ?
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