डा. रुपेश ने अपनी टीम (रजनीश के झा, मुनव्वर सुल्ताना, मनीषा, मोहम्मद उमर रफई) के साथ एक नया भड़ास ब्लाग बना लिया है। डा. रुपेश और उनकी टीम का मानना है कि ये भड़ास अब असली भड़ास नहीं रह गया है और यहां कुछ आध्यात्मिक और गुडी गुडी सी बातें होने लगी हैं, इसलिए भरपूर गालीबाजी के लिए असली भड़ास बनाया जाना चाहिए। सो, उन लोगों ने एक ब्लाग बनाकर उसका भी नाम भड़ास रख दिया है। रजनीश के झा अपने तकनीकी हुनर का इस्तेमाल करते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस भड़ास से फोड़कर उस भड़ास में ले जाने के लिए लगे हुए हैं।
हम भड़ासी एक नए और 'असली' भड़ास का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वाकई वो लोग असली भड़ासी साबित हों ताकि हम वणिक टाइप भड़ासी उनसे कुछ सीख सकें। फिलहाल, नए भड़ास में इनकी सक्रियता को देखते हुए पुराने भड़ास से इन सभी की सदस्यता खत्म की जाती है।
हम उम्मीद करते हैं कि यह भड़ास नए साल में अब ज्यादा सकारात्मक मंच बन सकेगा।
आभार के साथ
यशवंत
5.1.09
डा. रुपेश, रजनीश के झा, मुनव्वर सुल्ताना, मनीषा, मो. उमर रफई की सदस्यता समाप्त
Posted by यशवंत सिंह yashwant singh
Labels: डा. रुपेश व अन्य, भड़ास, यशवंत, सदस्यता खत्म
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8 comments:
in logon ne bahut gandagee failaa di thi in par jhadoo pocha hona zaroori ho gayaa thaa. main aapko inki sadayata samapt karne ke liye badhayee deta hoon. par bhadas ek hee thaa ise aur tareeke se nahee likha jaa sakta. isliye sirf wo bakawas hee sabit honge. isliye isme chinta karne ki koi zaroorat nahee hai.
Mahagyani ji maharaj..aap kya kisi ki sadsyata samapt karenge..apne ko bhagwan manane ki galti mat kariye. amit ji apko mera vyaktigat CHALANGE hai kisi bhi mudde par apse kharab nahi likhunga..kyonki badhiya karne ka theka aplogone khud le liya hai..bhai saheb jarurat to uparwale ko bhi pad jati hai to aap kis khet ki muli hain. SWANAMDHANYA bankar apne ko dhokha mat dijiye. Ye GYAN ki duniya hai. iska dusra chhor kisi ko nahi mila..aapko milega to mujhe jarur batana..
ummid ki nai kiran jagai hai. apake is kadam ka swagat hai.
pankaj vyas, ratlam
aapke is kadam ka swagat hai.
बहुत देर से ही सही पर एक सधी हुई शरुआत आपने की है, बधाई. आशा है कि नए सल् में आपके द्वारा कुछ और क्रन्तिकारी कदम उठाये जायेंगे (इसकी तरह और एक दिन में नौ-नौ पोस्ट लिखने की तरह) बहरहाल आपको भी लगा कि भडास केवल गाली देने का मंच नहीं है.......पुनः बधाई. शब्दों की गरिमा को समझ कर आपने एक नई दिशा देने का प्रयास किया है.
badhiya
bhadas ka yeh koi matlab nahin ki hum garima ka chode dein, bhasha mein sabhyata jhalakni chayiya, shabdon ka chayan bhi sabhy hona hi chaiya,
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