कशमकश
वह मेरे पैर छूने आया था
ताकि उसे आशीर्वाद दूं
लेकिन वह मेरा दिल छू गया
अब मै उसे क्या दूं ?
आरती आस्था
11.3.09
कशमकश
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
कशमकश
वह मेरे पैर छूने आया था
ताकि उसे आशीर्वाद दूं
लेकिन वह मेरा दिल छू गया
अब मै उसे क्या दूं ?
आरती आस्था
12 comments:
बहुत सुन्दर
कम शब्दों में बड़े गहरे भाव
thanks for understanding my feelings.
waah...kya baat hai.
waah...kya baat hai.
जो लिखा वह लिखा गया नही लगता है क्योंकि जो लिखा जाता है वह प्रभाव छोडने में नाकाम हो जाता है लेकिन जो लिख जाता है वह अभाव छोड जाता है लगता है वही हुआ और कुछ ऐसा निकला कम शब्दों में प्रखर गया और न कहते हुए कुछ कह गया शायद कसमकश टाइटल ही अपनी कहानी को बयां कर रहा है शायद आप लिखना नही चाहती थी लेकिन क्या आप बिना लिखे रह सकती थी ,मेरी समझ में तो नही क्योंकि आपने इसे लिखा नही छलक गया ,छलकना इस बात का प्रमाण है कि आपमें बहुत कुछ है हो सकता है कि वो बेचैनी हो लेकिन लिखने के बाद क्या खत्म हो गयी बेचैनी शायद नही क्योंकि जो खत्म हो जाय उसका होना ही न होना है लेकिन जो बढता जाय शायद वही कुछ है फिर चाहे वो प्रभाव हो या फिर अभाव ...
जो लिखा वह लिखा गया नही लगता है क्योंकि जो लिखा जाता है वह प्रभाव छोडने में नाकाम हो जाता है लेकिन जो लिख जाता है वह अभाव छोड जाता है लगता है वही हुआ और कुछ ऐसा निकला कम शब्दों में प्रखर गया और न कहते हुए कुछ कह गया शायद कसमकश टाइटल ही अपनी कहानी को बयां कर रहा है शायद आप लिखना नही चाहती थी लेकिन क्या आप बिना लिखे रह सकती थी ,मेरी समझ में तो नही क्योंकि आपने इसे लिखा नही छलक गया ,छलकना इस बात का प्रमाण है कि आपमें बहुत कुछ है हो सकता है कि वो बेचैनी हो लेकिन लिखने के बाद क्या खत्म हो गयी बेचैनी शायद नही क्योंकि जो खत्म हो जाय उसका होना ही न होना है लेकिन जो बढता जाय शायद वही कुछ है फिर चाहे वो प्रभाव हो या फिर अभाव ...
amazing
Suparb
Fantbulas
जिंदगी के अजीब रास्तों पर मिल जाते है लोग .कौन होते है लोग कैसे होते है वो लोग कुछ पता नही होता लेकिन फिर धीरे धीरे सब कुछ पता चल जाता है कैसे है कौन है और क्यों है हालांकि बाद का शब्द इतनी आसानी से नही पता चलता है लेकिन वक्त के साथ पता चल जाता इनमें कुछ लोग दिल के बहुत करीब आ जाते है फिर वो बिछडने भी लगते है और तब हम उस ईश्वर को दोष देते है किस्मत को कोसते है और खुद को सही पाते है लेकिन जब कोई मिला था तब भी वो अकस्मात मिला था और जब गया तब भी अपनी मर्जी से दोनों ही क्रियाये अपने आप हो गई फिर भगवान को क्यो दोष....
very nice
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