आज होली है और मैं घर पर बैठा हूं। यह मेरा जन्मदिन भी है, भारतीय तिथि के अनुसार। हमारे यहां होली का त्योहार प्यार और मोहब्बत का त्योहार है। कई बार होली का यह त्योहार नहीं मनाया जाता, जैसे मैं नहीं मना रहा। जिनके साथ होली मनाने का मजा या आनंद आता है, अगर उनमें से कोई नहीं रहे, हमसे बिछुड़ जाए तो होली का मजा भी नहीं रहता। इस बार मेरे साढू राजेंद्र विमल, कथाकार मित्र लवलीन और हमारी एक ताई जी का निधन हो गया। इसलिए मैं होली नहीं खेल रहा। आज सुबह ही सूचना मिली कि जिस अपार्टमेंट में हम रहते हैं, वहां एक बुजुर्ग महिला का भी देहांत हो गया। अब कोई ऐसे में कैसे होली की खुशियों में शरीक हो।हालांकि बच्चे होली खेल रहे हैं, उन्हें किस बात का गम? वो जब बड़े हो जाएंगे तो इस बात को समझेंगे कि पापा ने होली क्यों नहीं खेली?हमारे यहां किसी आत्मीय के देहांत के बाद पहली होली नहीं मनाई जाती और लोग, दोस्त, रिश्तेदार व पड़ौसी आकर ‘सोग’ उठाने की रस्म अदा करते हुए जिंदगी को फिर से नई चेतना के साथ जीने के लिए प्रेरित करते हुए गुलाल का टीका लगाते हैं। सोग उठने के बाद फिर से होली मनाना शुरू हो जाता है।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होली नहीं खेलते। और भी बहुत से लोग होंगे जो त्वचा रोग एलर्जी और हुड़दंगबाजी से बचने के कारण होली नहीं खेलते। कई बार बड़े और मशहूर लोग देश समाज में घटी किसी घटना के कारण भी होली नहीं खेलते जैसे अमिताभ बच्चन ने मुंबई में हुई आतंकवादी घटना के कारण होली खेलने से मना कर दिया है।
11.3.09
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4 comments:
आपके ताई जी के निधन और अन्य जानकारी के बारे सुनकर अच्छा नहीं लगा पर भगवान उन सभी की आत्मा को शांती प्रदान करे और, आपको होली की शुभकामनाओं सहित!!!
holi kabhi kabhi manane ki hi chhej hai ,happy holi premchand bhai
जन्मदिन की बधाई (देर से ही सही)
अच्छा लिखा है आपने.
prem chand jee holi nahee khelne ke kaaran apne ginaaye lekin holi khelne aur kamkar khelne ke bhee kaaran hote hain. u hee nahe koi huriyara banaa firta hai.
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