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12.5.09

मदर्स डे स्पेशल

=>हैप्पी मदर्स डे माम !

=>जुग-जुग जियो बेटा । मेरी उम्र भी तुम्हे लग जाये मेरे लाल ।



अभी कछ साल पीछे तक हम होली, दीपावली आदि पुराने प्राचीन त्यौहारों को मनाते थे अब भी मनाते हैं, पर इस सदी के आखिर तक मनायेंगे, कुछ पक्का नहीं है क्योंकि इन त्यौहारों के प्रति लोग अब उदासीन होते जा रहे हैं भविष्य में लोग होली त्यौहार को इसलिए नहीं याद करेंगे कि एक होलिका जी थीं (प्रहलाद की बुआ) और एक प्रहलाद जी दोनो कम्पटीशन में अंगीठी में कूद पड़े होलिका जर बुताईं (जल मरीं), प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ बल्कि होली इस लिए याद की जायेगी क्योंकि आबकारी वाले साल भर दारू की धीमी बिक्री की वजह से स्टॉक फिनिश करने के लिए होली मनवाते थे, जिससे दारू का पुराना स्टॉक निकल जाता था और नये के लिए जगह खाली हो जाती थी दारू के नशे में गुझिया, पापड़ हींचे जाते थे रंग लगाने के चक्कर में रंगीले मर्द रंगीली स्त्रियों की खोज किया करते थे छेड़ा-छेड़ी होती थी, बाद में परंपरा के अनुसार पिटते भी थे एक ऐसा त्यौहार जिसमें एक दिन के लिए पूरा देश असभ्य हो जाता था फिर एक पर्व होता है दीपावली ये त्यौहार इस लिए याद किया जायेगा क्योंकि इसमें लोग दिये जलाने और घर की साफ सफाई से अधिक बमों और आतिशबाजी को अधिक प्राथमिकता देते थे पूरा देश बमबाज हो जाता था रावण के मरने के बाद राक्षसी वीरता धमाके करने लगी

नये नवेले अंतर्राष्ट्रीय त्यौहारों का जिक्र करना हो तो सबसे पहले वैलेंटाइन डे का ख्याल आता है 14 फरवरी का इंतजार सयाने युवक साल भर से करते हैं इस साल पिट-पिटा कर फारिग हुए तो अगले साल फिर किस हसीना से सैंडिलें खानी हैं उसकी तैयारियों में लग जाते हैं और अगर दरियादिल हसीना मान भी गई तो कम्बख्त भगवा फौज के डंडों और जूतों से कैसे बचेगें खुदा ही जाने इसी लिए किसी भुक्तभोगी ने बहुत पहले ही लिख मारा थाएक आग का दरिया है और डूब कर जाना है

फिर मार्च में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है एक दिन के लिए शहरो में रहने वाली महिलाएं खुश हो लेती हैं जबकि उसी दिन किसी दूर दराज के गांव में शौच क्रिया के लिए जाती किसी युवती के साथ गांव के कुछ दंबग मिलकर सामूहिक महिला दिवस मना डालते हैं या देश भर के हजारों नर्सिंग होमों में दसियों हजार कन्या भ्रूणों की हत्या कर दी जाती है या उसी दिन नेपाल, बंग्लादेश से या फिर भारत के ही किसी आदिवासी क्षेत्र से भगाई गई हजारों मासूम लड़कियों को बेच दिया जाता है अपना-अपना तरीका है महिला दिवस मानने का कोई किसी तरीके से मनाता है, कोई किसी तरीके से

11 मई, मदर्स डे आप लोगों को शायद याद होगा कि 11 मई सन 1998 को ही पोखरन में द्वितीय परमाणु परीक्षण किया गया था जिसेशक्ति 98” का नाम दिया गया शक्तिने पैदा होते ही ऐसी दहाड़ लगाई कि पूरा विश्व कांप उठा था लायक पुत्र इसी को कहते हैं शत प्रतिशत मां की रक्षा करेगा पश्चिमी देशों की देखा देखी अब हमारे यहाँ भी मदर्स डे मनाया जाने लगा है माँ को धन्यवाद प्रस्ताव पारित करते हैं एक माँ जो हमें 9 महीने पेट में रखती है, कष्ट सह कर हमें इस दुनिया में लाती है, अपना दूध पिलाती है, पालती है, पोषती है, कितनी ही रातें हमारे द्वारा गीला किये गये बिस्तर पर बिताती है एक दिन उस माँ को थैंक्स कह दो और दस रूपये का आर्चीज़ का कार्ड थमा दो, बस बाकी वंदेमातरम मित्रों, क्या माँ साल के 364 दिन हमारे लिए नौकरानी होती है और एक दिन के लिए वो पूज्यनीय हो जाती है ? हमारी संस्कृति में तो हर दिन मातृ और पितृ दिवस है जीवित माँ-बाप बच्चों के लिए भगवान से बढ कर होते हैं

काशी के एक सेठ थे अपार दौलत थी एक दिन ख्याल आया कि अपनी स्व0 माँ के नाम से गंगा नदी पर एक भव्य घाट बनवा दें घाट बन गया उसके उद्धाटन पर सेठ जी ने कहा कि उन्होंने मातृ ऋण चुका दिया है उसी वक्त वह घाट गंगा में समा गया गंगा जी भी तो एक माँ हैं, वो दूसरी माँ का अनादर कैसे देख सकती थीं मातृ ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो सकते इसलिए कोशिश करना बेकार है

मेरा आर्चाज वालों से निवेदन है कि वे और कार्डों की तरह स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए भी कार्ड छापें इसी बहाने नई पीढी भारत के स्वतंत्रता संग्राम और अपने संविधान को भी याद कर लिया करेगी फिर चाहे उस छुट्टी की शामचीयर्स फॉर इंडिपेंडेंस ऑफ आवर कंट्रीही हो

2 comments:

Amod Kumar Srivastava said...

Bahut khub .... main aap se shat pratishat sahmat hoon. Kya khub likha hai aapne, dhanywad

शोभना चौरे said...

bhut shi likha aapne.