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1.5.09

भारत को खंड खंड करते भारतवासी.......,

जनाब अगर आप किसी भी मुल्क में जाओ और वहां के बाशिंदों से सवाल करो आप कहाँ से हैं तो उसका जवाब होगा .....अमेरिका वाला बोलेगा मैं अमेरिकन हूँ अफ्रीकी बोलेगा अफ्रीकन हूँ अरब बोलेगा अरबी हूँ नेपाली बोलेगा नेपाली हूँ ,,,,,,लेकिन हम जब अपने देश में सवाल करते हैं तो यहाँ हिन्दुस्तानी छोड़ कर सब मिल जाते हैं कोई पंजाबी होता है, कोई मराठी होता है, कोई बंगाली होता है, तो कोई तमिल लेकिन कोई भी हिन्दुस्तानी नहीं होता है आखिर गलती कहाँ की गयी की हम क्षेत्रवाद को देश से ज्यादा महत्व देने लगे क्या किसी ने कभी इस विषय में सोचा या किसी ने इसके लिए कोई ठोस पहेल की शायद ये हिन्दोस्तान का दुर्भाग्य है की आज़ादी की लडाई में जब हमारे हिन्दुस्तानी भाई अपने मुल्क के लिए जाने दे रहे थे तो उनके लिए क्षेत्रवाद नहीं अपना देश प्यारा था यहाँ हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई बोलने वाला कोई नहीं था सब भारतीय थे लेकिन आज़ादी मिलने के बाद यहाँ शुरू हुवा लोकतंत्र की खरीद फरोक्त का खेल पहले एक नारा आया हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस में हैं भाई भाई .....यहीं से शुरू हुवा इन राजनितिक दलालों का खेल इन्होने सबसे पहले ऐसे सन्देश बनाये की लोगों को ये एहसास हो की भारत अब आजाद हो चूका है और यहाँ अलग अलग धर्मो के मानने वाले रहते हैं जिनका रहेन सहेन सब अलग हैं और ये एक दुसरे के साथ नहीं रह सकते हम इनको साथ रहना सिखायेंगे और फिर हर धर्म का दलाल अपने आप को उस कौम का नेता बताने लगा और फिर शुरू हुवा अधिकार दिलाने के नाम पर आपसी भाईचारे को बीच बाज़ार नंगा करने का खेल यहाँ तक तो फिर भी ठीक था लेकिन जब राजनीति ने व्यवसाय का रूप लेना शुरू किया तो इन दलालों को अपनी कौम को बेचने में मोती कमी होने लगी और फिर शुरू हुवे सांप्रदायिक दंगे आज तक इन दंगों में इन दलालों का कोई भी करीबी नहीं मारा गया न ही इनकी संपत्ति का कोई नुकास्सन ही हुवा मारा कौन गया बर्बाद कौन हुवा बताने की ज़रूरत नहीं और आज देखिये हम किस जगह खड़े हैं हम दावे करते हैं की हम जल्द ही विकसित राष्ट्र बन जायेंगे लेकिन कैसे कोई बताने को तैयार नहीं हमारे देश में लोग क्षेत्रवाद की बातें करते हैं अपने राज्य से बाहरी (दुसरे राज्य) से आये हुवे लोगों को मार मार कर भागाते हैं क्यूँ क्या वो हिन्दुस्तानी हैं या फिर वो राज्य अपने आप को एक अलग देश साबित करने पर तुला है! वास्तव में ये एक ऐसी समस्या है जिसका वक़्त रहते इलाज नहीं किया गया तो शायद अखंड भारत कहने वाले लोग ही भारत को खंड खंड करने में सबसे आगे होंगे और बदनाम होंगे कुछ खास तबके के लोग .....अभी हमें लगता है की देश आगे जा रहा है लेकिन कहाँ सही जवाब कोई देना नहीं चाहता हमारे किसान खुदकुशी कर रहे हैं, हमारे नवजवान नक्सली आतंकवादी बन रहे हैं , सरकारी तंत्र रिश्वत खोरों और भरष्ट लोगों के आगे नतमस्तक है , और सर्कार चलाने वाले अपने ही देशवासिओं के लहू से अपने धन के बगीचों को सींच रहे हैं तो साथियों हम कहाँ विकसित राष्ट्र बनने के रस्ते पर हैं...?

1 comment:

अंकुर माहेश्वरी said...

jab tak sab haatho ko rozgar mila hai ,,, koi is tarike se aapas me ladta nhi hai ... lekin jab bhi koi dusra desh ya ya bhasha ,,ya dharam ya sanskrti ka aakar ..roti par haath dalta hai .. to ye samsya mukhar ho jaati hai ..