=>भाइसाहब! ये आपस में लड़ क्यू रहे है .
=>ये लड़ नहीं रहे हैं, सरकार बनाने के लिए पसीना बहा रहे हैं ।
जिसका डर था वही होने जा रहा है । पंद्रहवीं लोकसभा में किसी भी पार्टी को जनता ने बहुमत का आशीर्वाद नहीं दिया । अखिर काहे को दें आशीर्वाद । जब ससुरों तुम ही लोग एक नहीं हो, तो जनमत भी काहे को एक हो । कनफ्यूज़ कर के रख दिये हो । कौन किसका दोस्त है, कौन किसका दुश्मन है, कुछ भी पक्का नहीं है । जो साले एक महीने पहले तक जिस पार्टी को सपोर्ट कर रहे थे, एक महीने बाद उसी पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर रखे हैं और पत्रकारों के सामने अगले को बल भर के ले, दे करते फिर रहे हैं । पब्लिक का रहा सहा दिमाग दही कर के रख दिया । यार एक-एक, दो-दो महीने की शार्ट टर्म यारी दोस्ती पर चुनाव लड़ोगे, तो इतनी भी अपने यहाँ की जनता जनार्दन की जनरल नॉलेज अच्छी नहीं होती ।
न्यूक्लियर डील के चलते वामदल ने यूपीए से सपोर्ट खींचा तो मुलायम सिंह नये तारणहार बन कर अवतरित हुए । कांग्रेस और सपा में फिर एक नई डील हुई । सरकार बचाने के लिए काइंड में नहीं कैश में बात फिक्स हुई । अमर सिंह भला कहां चूकने वाले थे । सांसदों की खरीद फरोख्त में संसद में गड्डियाँ लहराई गईं । रेवती रमण सिंह की जय जयकार हुई । देश ने राजनीति में नैतिक प्रपात का नया कीर्तिमान देखा । दो लाख करोड़ की न्यूक्लियर डील के लिए कांग्रेस ऐसी दसियों सरकार कुर्बान कर सकती थी । देश की सम्प्रभुता सिर्फ संविधान की प्रस्तावना में ही लिखी अच्छी लगती है । सौदा करने के लिए इस बार यही सही । अभी इसी सप्ताह वाशिंगटन से बयान आया है कि भारत को हम सी.टी.बी.टी. की तरफ ले जा रहे हैं । भारत को सी.टी.बी.टी. की तरफ धकेलने के लिए न्यूक्लियर डील पहला कदम था ।
मित्रों, सरकार क्या है ? सरकार है पांच साल तक भारत देश, भारतवासियों और भारत के अमूल्य संसाधन को लूटने, खसोटने, विदेशी सरकारों से दलाली खाने, देशी-विदेशी मल्टीनेशनल्स को मनमाना कारोबार करने की अनुमति देकर बदले में मिले अपने हिस्से को विदेशी बैकों में जमा करने, अपने दुश्मनों के खिलाफ पुलिस, जांच एजेंसियों और न्यायपालिका को ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करने, अपने भाई-भतीजों, साले-सालियों, बहन-बहनोइयों को सरकार में जगह देना, ऊंची नौरियाँ देना, सरकारी कान्टै्रक्ट दिलाना, अपने चाटुकारों को पद्म श्री, पद्म भूषण बांटना इत्यादि । सरकार मतलब कुबेर का खजाना । जिसको लूटने के लिए दस लाख हाथ भी कम पड़ते हैं । इस कारू के खजाने को लूटने के लिए डाकूओं का एक प्रजातांत्रिक गिरोह बनाना पड़ता है, जिसे चुनाव आयोग किसी राजनेतिक पार्टी के नाम से पंजीकृत कर देता है । आज स्थिति ये है कि किसी एक गिरोह को बहुमत नहीं मिलने जा रहा है, इसलिए बड़े दस्यु गिरोह छोटे-छोटे दस्यु गिरोहों को फुसलाने में लगे हैं ।
लालू, मुलायम और पासवान ने यूपी और बिहार में और वामदल ने पश्चिम बंगाल और केरल में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था । मतगणना अभी शुरू भी नहीं हुई और ये लोग एक दूसरे की मदद से सरकार बनाने के सपने भी देखने लगे । जनता ने इन्हें इमानदारी से वोट दिया और ये दुगनी इमानदारी से जनादेश के साथ सामूहिक बलात्कार करने की तैयारी में लगे हुए हैं । इनकी तैयारियाँ को देखते हुए लगता है कि इस बार विपक्ष में कोई नहीं बैठेगा । सभी सरकार बनाना चाहते हैं, इसलिए सब एक दूसरे को समर्थन दे कर सरकार में शामिल हो जायेगें ।
साम्प्रदायिक गठबंधन एन.डी.ए. को सत्ता से दूर रखने के लिए सभी तथाकथित सेकुलर दल कांग्रेस के नेतृत्व में एक हो जाते हैं । मुस्लिम वोट बैंक को बरगलाने लिए साम्प्रदायिकता का कार्ड खेला जाता है, लेकिन अफसोस देश पर पचास साल शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिमों के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया । सच्चर कमेटी की रिपोर्ट गवाह है कि आज मुसलमानों का सबसे ऊंचा जीवन स्तर नरेन्द्र मोदी के राज्य गुजरात में है और सबसे तंगहाली में मुसलमान पश्चिम बंगाल में जी रहे हैं, जहाँ उन्हें मूर्ख बनाकर कम्युनिस्ट पार्टी उनका इस्तेमाल सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में करती है ।
चुनाव के पहले तीसरा और चौथा मोर्चा प्रकाश में आया था । अभी मतगणना शुरू भी नहीं हुई और वो नमक के ढेले के समान गल कर यूपीए या एनडीए में समाने को बेकरार है । चुनाव लड़ा कांग्रेस के खिलाफ । जनता ने उन्हें वोट दिये कांग्रेस के खिलाफ लेकिन अंत में साम्प्रदायिकता के खिलाफ उनका कांग्रेसीकरण हो गया । आज स्थिति ये है कि सुबह तक जिनको गरियाते फिर रहे थे शाम को फोन कर के कहते हैं 'कहा-सुना माफ करियेगा' । 16 मई की शाम से सभी एक स्वर में गायेंगे 'दे दाता के नाम, तुझको अल्ला रखे' । सभी भिखारी है और राजा बनने के सपने देख रहे हैं । जनता जनार्दन तो मुगलों और अंग्रेजों के जमाने में भी भिखारी थी और आजादी के 6 दशक बाद भी भिखारी है । हम भिखारियों को कोई एक वोटर से ज्यादा मानने को तैयार नहीं है । बकौल अलोक पुराणिक 'फ्यूज़ बल्ब और यूज्ड़ वोटर किसी काम के नहीं होते । दोनों से जल्दी छुटकारा पाने में ही समझदारी है ।
2 comments:
बहुत बढ़ियाँ पढ़कर मजा आ गया क्या लिखा है?काश ये आवाज उन तक पहुंच जाए.आमीन!और इस देश की जनता पर थोड़ी सी दया कर दें.
mazedar bhi hai aur teekha bhi,bilkul meri atnee k banaye pakoudon jaisa....
MAZA AAYA -------------badhaiyan
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