बसपा चाहती यह है कि किसी तरह किसी भी नारे और किसी भी तिकड़म से सरकार पर कब्जा बना रहे और दिल्ली कि कुर्सी मिल जाए । आम आदमी कि समस्या का इस दल से कोई लेना देना नही है। दलित,ब्राहमण गठजोड़ हो जाए ,उसमे मुस्लिम जुड़ जायें ,फिर उसमे क्षत्रिय जुड़ जायें ,फिर सवर्ण जुड़ जायें। यह उनका यथास्थितवाद है जैसा है वैसा ही बना रहे । भ्रष्टाचारी ,ब्लैकमेलेर ,जमाखोर , मिलावाटकारी भी मौज में रहे । किसान मजदूर भूखो मर रहा है तो वह मरता रहे ,क्योंकि जब किसान ,मजदूर,मेहनतकस जनता को कोई लाभ देना होगा तो इन तत्वों के ऊपर अंकुश लगना पड़ेगा लेकिन सर्वजन में इनका भी भला हो और उनका भी भला हो । बहुजन समाज पार्टी भी साम्राजवादी शक्तियों के चंगुल से मुक्त नही है, इस सरकार ने अपने P.C.S व P.P.S अधिकारियो का प्रशिक्षद अमेरिका में कराया है।
चुनाव में अरबो रूपए विभिन्न राजनीतिक दल खर्च कर रहे है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया -प्रिंट मीडिया से लेकर आम मतदाताओं तक खरीद-फरोख्त जारी है दारो,मुर्गा,रुपया बाँट रहा है । आए दिन विभिन्न नेता अचार सहिंता के दोषी पाये जा रहे है । कोई कार्यवाही सम्भव नही है। समाजवादी , पूंजीवादी शक्तियों ने इन दलों को रुपया मुहैया कराया है जिसका नंगा खेल दिखाई दे रहा है ।
गोधरा कांड के बाद गुजरात चुनाव में बसपा नेता मायावती नरेंद्र मोदी के समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए गई थी और जब उत्तर प्रदेश में B.j.P कमजोर हो रही है तो वरुण प्रकरण को तेजी देकर भाजपा को मजबूत भी वह कर रही है । प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी कि सरकार थी अपहरण वफिरौती उद्योग अपने चरम सीमा पर था और जब आज बसपा सरकार है तो शुरुवाती दौर में थोड़ा सा अंकुशलगाकर सभी गुंडे मवालियों को अपने पक्ष में करके अपहरण व फिरौती ,जमीन कब्जा उद्योग पुन : चालू कर दियाहै । स्तिथि बद से बदतर होती जा रही है ,आप अपने खेत कि खतौनी लिए बैठे रहिये बोई हुइ फसल बसपाई नेताओं के इशारे पर पुलिस कि मद्दद से गुंडे व मवाली काट लेंगे ।
आतंकवाद के सवाल पर भी बसपा सरकार कि सोंच राष्ट्रिय स्वयं संघ कि सोच से अलग नही है जिस तरह मुस्लिम नौजवानों का इन्कौन्टर किया गया है वह हिटलरी कारनामो को भी मात देता है। तमाम सारे मुसलमान नौजवानों को फर्जी मुकदमो में निर्रुध कर रखा गया है।
कांग्रेस ,भाजपा व बसपा ,सपा द्वारा चुनाव में अथाह रूपए खर्च किएजा रहे है । जिस रूपए के आने का स्रोत्र किसी को मालूम नही है । निश्चित रूप से यह रुपया उद्योग पतियों केभ्रष्टाचार जगत से आ रहा है तथा कला धन है ।
इन रुपयों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया , विज्ञापन व अन्य प्रचार माध्यमो से आनावश्यक मुद्दे उछाल रहे है जिससे मतदाता गुमराह हो और उन्ही में से किसी एक को वोट देकर सत्ता संचालित करने के लिए अधिकृत कर दे ।
समाजवादी शक्तिया भारत को पूर्णतया गुट-निरपेक्ष कि नीति छुडवाकर अमेरिकन साम्राज्यवाद के खेमे में शामिल करने के लिए प्रयासरत है, तो मोशाद कि पहली पसंद भारतीय जनता पार्टी है क्योंकि कई दशक तक भारत के संबंद इस्राइल से नही रहे । इसके विपरीत भारत के सम्बन्ध फिलिस्तीन से थे। भारत उसका एक सच्चा मित्र था । भारतीय जनता पार्टी कि सरकार में आने के बाद इस्राइल से चुपके-चुपके और फिर खुले तौर से सम्बन्ध बनाये और देश कि विदेश निति को इस्राइल समर्थक करने की कोशिश की ।
-मोहम्मद शुएब 'एडवोकेट '
-रणधीर सिंह ''सुमन'' 'एडवोकेट '
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