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4.5.09

Loksangharsha: उदार भेडिया


वसुधैव कुटुम्बकम का नारा शिक्षा संस्थानों धार्मिक संस्थानों में हिंदुवत्व के पैरोकारों ने जगह -जगह लिख रखा है ,उसी के सन्दर्भ में मैं अपनी बात को रख रहा हूँ । उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम का वाक्य विष्णु शर्मा कृत पंचतंत्र लिया गया है । पंचतंत्र की कहानी है की भेडिया खरगोश से कहता है की मेरे नजदीक आ जाओ मुझ से दोस्ती कर लो खरगोश किसी भी कीमत पर भेडिया के पास नही जाना चाहता है तब भेडिया खरगोश से कहता है उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम । उदार चरित्र वाले लोगो का सारा संसार परिवार होता है खरगोश अगरभेडिया के पास जाएगा तो वह तुंरत भेडिया का भोजन हो जाएगाउसी तरह महात्मा गाँधी से प्रमाण पत्र भी लियाऔर गाँधी की हत्या भी की जब जरूरत होती है तो आज भी गाँधी का इस्तेमाल गाँधी की हत्या करने वाले लोगकरतें है और गाँधी वध भी गोडसे की किताब गाँधी वध क्यों नामक किताब पूरे देश में बेच कर गाँधी की हत्या को जायज ठहराया जाता है लौहपुरुष सरदार पटेल के विभिन्न संदर्भो का प्रयोग हिन्दुवात्व वाला संगठन करता है लेकिन सरदार पटेल ने उक्त संगठन को पहली बार प्रतिबंधित किया था जिसका वह उल्लेख नही करतें है । कुछ अच्छे उदहारण दे के लोगो कोबरगलाने से ग़लत बात सही नही हो जाती है यह उसी तरीके का तर्क है जिस तरिके से ददुवा से लेकर ठोकिया कोलोग जायज ठहराने का प्रयास करतें है मिलावटखोर,जमाखोर,नकली दवाएं बेचने वाले लोग असली हिंदुवत्व कीपहचान है जर्मनीमें हिटलर ने भी बहुत सारे लोक लुभावन कार्य किए थे और जैसे ही हिटलर ने सम्पूर्ण राष्ट्र ka ऊपर एकाधिकारकर लिया तो गैस चैंबर नरसंहार आज तक लोग नही भूले है राष्ट्रवाद का नारा सबसे ज्यादा यही संगठन देता है जिसका कोई भी सम्बन्ध न राष्ट्र से है न राष्ट्र की जनता से है । आचार्य चतुर सेन एक उपन्यास है सोना और खून जिसमे उन्होंने बहुत अच्छी तरीके से राष्ट्रवाद और देश को समझाया है । राष्ट्रवाद ,जाति,भाषा ,धर्म ,क्षेत्रवाद आदि इस संगठन ka प्रमुख हथियार है जिसके माध्यम से यह लोगो की भावनाओ को उकसाकर देश को कमजोर करतें है ।
और जब कोई बात सही तरीके से आती है चाहे वह इतिहास की समझ करती सवाल हो या देश की एकता या अखंडता करती सवाल हो यह संगठन और इसके लोग सारी भड़ास वामपंथियों के ऊपर निकल देते है यह उसी तरीके से है की शिव का धनुहा किसने तोडा? क्लास के बच्चे मंगरूराम ने तोड़ा
शेष उचित समय पर ॥
सुमन
loksangharsha

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