अरविन्द शर्मा
बदले या नहीं बदले, दूसरों को बदलने की जिद हर किसी पर सवार है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कुछ लोग मुझे बदलने के लिए हर संभव कोशिश....
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
अरविन्द शर्मा
बदले या नहीं बदले, दूसरों को बदलने की जिद हर किसी पर सवार है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कुछ लोग मुझे बदलने के लिए हर संभव कोशिश....
Labels: बदलाव
2 comments:
जनाब, आप जैसे हैं वैसे ही रहें. दूसरों के प्रयासों को विफल करतें रहें और अपनी मौलिकता बनाये रखें.
हम को बदल सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से है ज़माना, ज़माने से हम नहीं:)
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