मासूम उमर की जो लड़की चुनरी की छाँव में जा रही है। आम तौर पर इस प्रकार से लड़की को शादी के मंडप में ले जाया जाता है। दुल्हन के परिधान में यह लड़की जा तो मंडप में रही है लेकिन यह मंडप उसे भोग के रास्ते पर नहीं त्याग के रास्ते पर ले जाने वाला है। भौतिक सुख सुविधाओं का त्याग। स्वाद का त्याग, आराम का त्याग। इस लड़की का नाम है नेहा जैन। १८ साल की नेहा ने
ढाई साल पहले सन्यास लेने का निर्णय कर लिया था। एक संपन्न परिवार की नेहा को उसके परिजनों ने समझाया लेकिन उसने अपना निर्णय नहीं बदला। आज उसके परिवार ने उसको अपनी स्वीकृति दे दी। इस मौके पर नेहा का नागरिक अभिनन्दन किया गया। उसके पिता मनोज जैन,माता स्वीटी जैन ने उसको आशीर्वाद दिया। अब नेहा अपनी गुरु के पास रहेगी। इसकी विधिवत दीक्षा ६ दिसम्बर को दिल्ली में होगी। अभिनन्दन समारोह का माहौल बहुत ही भावुक था। नेहा चार भाई बहिनों में सबसे बड़ी है।
27.9.09
मासूम उमर,पथरीली डगर
Posted by गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर
Labels: पथरीली डगर, मासूम उमर
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2 comments:
नेहा जी के आध्यात्मिक जीवन के लिए शुभ कामनाएँ
रास्ता कोई भी क्यो न हो कठिनाईयो से क्या डरना.......
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