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3.9.09

शेम शेम शेम विज्ञापन के नाम पर ख़बर की हत्या करते समाचार पत्र

सत्यमेव जयते और तरह तरह के स्लोगन लिखने वाले समाचारपत्रों की वास्तविकता तो हमें चुनावों के दोरान पता चल ही गई थी। एक आम आदमी के मन में जिस तरह की छवि समाचारपत्रों की होती हे उससे उन्हें कोई मतलव नही होता। में देख यह देखकर दंग रह गया की बड़े बड़े अखवार विज्ञापन के अंगे किस तरह झुक जाते हें। दरशल ग्वालियर के एक निजी कॉलेज प्रेस्टीज के १३ छात्रों का पेपर का सेंटर आइआइतिएम में पड़ा था लकिन जब यह सभी छात्र पेपर देने सेंटर पर पहुचे तो वहां के लोगों ने बताया की आपके सेंटर के बारे में हमारे पास कोई सूचना नही हें। यह सुनकर छात्रों के होस उड़ गए और आनन फानन में छात्रों ने अपने कॉलेज प्रशाशन को इस वाकया की जानकारी दी। कॉलेज के लोग बहुत देर बाद सेंटर पर पहुचे और फ़ोर्मल्तिएस पूरी की तब कहीं जाकर छात्र पेपर दे पाए लकिन इन लोगों को ३ घंटे की जगह सिर्फ डेड घंटे का समय दिया गया। इस ख़बर को लेकर कुछ छात्र मेरे पास पहुचे चूंकि इनमे से मेरे कुछ लोग परिचित थे इसलिए मेने उनकी न्यूज़ लेकर सहर के सभी अख़बारों में दे दी। मेने अपनी तरफ से सभी से कहा की इस न्यूज़ को लगबा देना। न्यूज़ देखकर सभी लोगों का कहना था यार मुश्किल हे क्योंकि यह हमारी विज्ञापन पार्टियाँ हें.मेने कहा फिर भी देख लेना। लकिन जब सुबह मेरे पास उन छात्रों का फ़ोन आया की भइया दो अखवारों के अलावा किसी में न्यूज़ नही लगी.जो दो अख़बारों ने साहसदिखाया वो थे बीपीन टाईम्स और स्वदेश.वाकी अखवारों ने उन छात्रों की जगह विज्ञापन को अधिक महत्व दिया.

1 comment:

Anonymous said...

बहुत सुंदर!!!!!!!!!!! लोकतंत्र इसी का तो नाम है क्या पता नहीं??????????? भईये(बुरा मत मानियेगा)इस लोकट6त्र के चारों पायों को दीमक चट कर कए हैं जो दिखाई दे रहा है वह कुछ देर की ही बात है..............