मैं पिछले माह सपरिवार ग्रीष्मकालीन भ्रमण हेतु दिल्ली, डलहौज़ी, खज्जियार, साच पास, अमृतसर, मथुरा और वृन्दावन गया था। हमारा बेटा वैभव हमारे साथ नहीं जा सका, इस बात का बड़ा दुख था। वहां मेरी सॉफ्टवेयर पुत्री ने सख्त चेतावनी दे दी थी कि पूरे भ्रमण के दौरान मैं न तो अलसी की बात करूंगा और न ही अलसी के बारे में सोचूंगा वर्ना वो मेरे लेपटॉप में वायरस डाल देगी। अलसी से संबन्धित प्यारी प्यारी बातें, अच्छे अच्छे संस्मरण बार बार मेरे गले तक आ रहे थे तथा बाहर निकलने को उतावले हो रहे थे, बार बार उबकाई सी आती थी और हर बार मैं मिनरल वाटर का घूंट पी पीकर अलसी की बातों को दबा कर नीचे धकेलने की कोशिश कर रहा था। पर मुई जानलेवा अलसी पानी के संपर्क में आने से और ज्यादा फूलती ही जा रही थी तथा मेरा पेट फाड़ने की पूरी तैयारी में थी। तभी यकायक मेरा ध्यान एक जगह बड़े से होर्डिंग पर लगे लक्स साबुन के नये विज्ञापन की ओर गया, जिसमें यह बताया गया था कि लक्स साबुन द्वारा नहाने मात्र से आपकी त्वचा कली से भी कोमल हो जायेगी। वाह कितना आसान तरीका था!!! लग रहा था कि कुछ ही समय बाद हमारे देश की सारी लड़कियां और स्त्रियां केटरीना जैसी हो जायेगी।
मैंने सोचा विज्ञापनों का वास्तविक उद्देश्य किसी भी वस्तु की खूबियों और वास्तविकता को उपभोक्ता के सामने यथार्थ रूप में प्रस्तुत करना होता है। लेकिन आजकल लगभग सभी संस्थान अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी को भूल गये हैं और उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी वस्तु की बिक्री बढ़ाना ही रह गया है। इसके लिए वे विज्ञापनों में झूठ बोलते हैं, गलत जानकारियाँ देते हैं, उपभोक्ता को भ्रमित करते हैं (या सरल शब्दों में कहें तो शुद्ध रूप से बेवकूफ बनाते हैं) और महत्वपूर्ण तथा आवश्यक जानकारियां या तो छुपा ली जाती हैं या इतनी बारीक किसी कोने में लिखी जाती हैं जिन्हें सूक्ष्मदर्शी यंत्र के द्वारा ही पढ़ा जा सकता है या conditions apply लिख दिया जाता है ।
कुछ माह पूर्व एक बार टी.वी. में लुभावना विज्ञापन देखकर मेरी एक चिकित्सक मित्र ने स्लाइसर डाइसर को मंगवाने के लिए ऑर्डर दिया था, जिसकी कीमत 3200 रुपये के लगभग थी। वे बड़ी खुश थी और बेसब्री से स्लाइसर डाइसर की प्रतीक्षा कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि स्लाइसर डाइसर आने के बाद फल और सब्ज़ियां काटना व खाना बनाना बहुत ही सरल, सुगम, सहज तथा मनोरंजक हो जायेगा। जीवन सफल और आनंदमय हो जायेगा जैसाकि टी.वी. पर विज्ञापन में रोज बताया जाता था।
हम सब लोग भी इन्तजार कर रहे थे कि कब स्लाइसर डाइसर आयेगा, कब हमको इसका लाईव डेमो देखने को मिलेगा, अच्छा लगा तो हम भी स्लाइसर डाइसर मंगवायेंगे और हम भी रोज चुटकियों में सारे फलों और सब्ज़ियों को काट डालेंगे और सचमुच खाना बनाना कितना आसान और मजेदार होगा। बस इस कल्पना मात्र से मन में खुशियों की हजारों फुलझड़ियां झड़ उठती थी। इस छोटी सी जिंदगी से हम कितना सारा समय भी बचा लेंगे और फिर रोज शाम को बिंदास होकर बहु-पटीय चलचित्रशालाओं में बीबी बच्चों के साथ सैर किया करेंगे, मूवीज़ देखा करेंगे।
आख़िरकार एक दिन स्लाइसर डाइसर का पार्सल लेकर कोरियर वालों का बंदा चिकित्सालय में आ ही गया। तब हम सभी चिकित्सक कॉफी की चुस्कियां ले रहे थे। तुरंत पार्सल खोला गया और अस्पताल की किचन से फल व सब्ज़ियां मंगवाई गई । लेकिन उससे न तो सब्ज़ियां स्लाइस हो पाई और न ही फलों के डाइस तैयार हो सके। देखकर भी लग रहा था कि यह मुश्किल से 150-200 रूपये तक का आईटम है। लगता था कि उसकी ब्लेड घटिया स्टील की थी और धार भी ठीक नहीं थी। उसमें प्लास्टिक भी घटिया काम में लिया गया था। सबके चेहरे से खुशी और मुस्कुराहट गायब हो चुकी थी, सब एसे गुमसुम थे जैसे दोबारा सुनामी आ गया हो। लम्बी ख़ामोशी के बाद, मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और मेरे मुंह से निकल ही पड़ा, “इससे बढ़िया और जल्दी तो सब्ज़ियाँ पांच रूपये वाला चाकू ही काट देता है।” बदले में सबके सामने मुझे मेडम की डांट खानी पड़ी।
चलिए आप तो अब लक्स का वो विज्ञापन देखिये जिसमें मैंने थोड़ा सा बदलाव करके उसे एक यथार्थ विज्ञापन बनाने की कोशिश की है और जिसे मैंने साच पास (जो 2 वर्ष पहले ही डलहौज़ी के पास खोजी गई एक बर्फीली चोटी है तथा रोहतंग पास से भी सुंदर है) के मनभावन, मनोरम, रमणीक, अविस्मरणीय और बर्फीले नज़ारों पर चिपकाया है।
यदि आप केटरीना कैफ की कली से भी कोमल, कमसिन, कांतिमय व कुंदन सी काया की कामना करती हैं तो उसकी कुंजी है केवल और केवल अलसी, न कि कोई सौंदर्य साबुन ।
अधिक जानकारी के लिए http://flaxindia.ning.com पर चटका करें।
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
+ 919460816360
1 comment:
वर्मा जी डलहोजी यात्रा पर बधायी खुशनसीब ही हैं जो वक्त निकाल लिया। हम पत्रकारों के ऐसे नसीब कहां।
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