कई दिन पहले हम और सचिन त्यागी एक साथ एक ही अखबार मे काम करते थे, साथ काम करना तो छूट गया लेकिन साथ सोचना और साथ रहने कि इच्छा नहीं छूटी। हिन्दुस्तान से इस्तीफा देने के बाद जब सचिन ने जागरण ज्वाइन करने की खबर सुनाई तो लगा कि एक ठंडी हवा का झोका आया। लेकिन उसके बाद सचिन ने हवा गर्म करने की ठान ली है, ज्वाइन करते ही चौका मार ही दिया आखिर बाबु सचिन त्यागी एक हज़ार आठ ने। खबर भी बढ़िया है
इस लिकं पर देखिये- यहाँ चटका लगाइए।
या फिर पूरी खबर यहाँ है
और हाँ, फोटो भी दे दिए हैं, ताकि सनद रहे और भविष्य मे काम आवे ...
अफसरों को छूट, पब्लिक से लूट
सचिन त्यागी, मेरठ यदि रोड पर वाहन चेकिंग के दौरान कोई दरोगा आपकी गाड़ी का इंश्योरेंस मांग ले तो एक बार ये जरूर पूछ लीजिएगा कि जिस बाइक से वो आए हैं, उसका बीमा है या नहीं। इसके बाद उसके चेहरे की रंगत देखिए। दरअसल, दरोगा से लेकर शहर कप्तान तक किसी की गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं है। यही नहीं डीएम से लेकर आईजी और डीजीपी साहब की गाड़ी भी बिना बीमा दौड़ रही हैं। परंतु कानून के पालन में ये भेदभाव क्यों है इसका जवाब कोई नहीं देना चाहता। यूपी के अफसरों की गाडि़यों का ऐसा ही हाल है। अफसर बिना इंश्योरेंस की गाडि़यों में बैठकर चलते हैं। उनका तर्क होता है कि अगर सरकारी गाड़ी से कोई एक्सीडेंट होता है, तो उसका क्लेम सरकारी गाड़ी होने की वजह से सरकार अदा करती है। इसी वजह से वे इंश्योरेंस कंपनियों की सेवाएं नहीं लेते, लेकिन पब्लिक के मामले में कानून अलग है। अगर कोई व्यक्ति यह कहे कि वो भी अपने व्हीकल का किसी कंपनी से इंश्योरेंस नहीं कराएगा, बल्कि एक्सीडेंट होने पर अपनी जेब से खुद क्लेम भर देगा, तो भी उसकी गाड़ी का चालान काटकर उसके हाथ में थमा दिया जाता है। उसे मोटरव्हीकल एक्ट का मुल्जिम बना दिया जाता है। टू व्हीलर से दो सौ, फोर से पांच सौ जुर्माना : जिले में इस वक्त करीब 2.48 लाख व्हीकल हैं। इनमें डेढ़ लाख के करीब टूव्हीलर हैं, जबकि पचास हजार फोर व्हीलर। ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ विभाग ने बिना इंश्योरेंस वाले टू-व्हीकल के लिए 200 रुपये जुर्माना और फोर व्हीकल के लिए पांच सौ रुपये जुर्माने की रकम तय कर रखी है। मेरठ की गाडि़यों के बिना इंश्योरेंस होने वाले चालान की रकम पर ध्यान दिया जाए तो पब्लिक के करोड़ों रुपये जुर्माना भरने में जा रहे हैं। क्या कहता है एमवी एक्ट : एडवोकेट विवेक कोछड़ और चरण सिंह त्यागी बताते हैं कि जिन लोगों की गाडि़यों का इंश्योरेंस नहीं है वे मोटरव्हीकल एक्ट की धारा 146/196 के मुल्जिम बन जाते हैं। सरकारी गाडि़यों के लिए छूट जैसा कोई प्रावधान नहीं है।
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