हम बचपन में...
मेरी ग़ज़ल अमर उजाला कोम्पेक्ट में ( जो कविता के नाम से छप गई है )
बड़े आकार में देखने के लिए मैटर पर किल्क करें.
बड़े आकार में देखने के लिए मैटर पर किल्क करें.
प्रबल प्रताप सिंह
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
4 comments:
congratulation
beautiful......
महाराज क्षमा करें मगर है तो वो कविता ही
पढवाने के लिए धन्यवाद
वविता बढ़िया लगी
Yugal ji, Sanjay ji or Veenus ji comment ke liey shukria...!!
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