देहरादून । ऊंची राजनैतिक पुहंच या फिर अपनी साख का जलवा देशभर में एक रूपये में कंप्यूटर शिक्षा दने का दावा करने वाले पायलट बाबा के खिलाफ देहरादून से लेकर देशभर में दर्ज हुए मुकदमों पर कार्रवाई करना तो दूर जांच के नाम का बहाना बनाकर इसे टाला जा रहा है। जबकि देशभर में पायलट बाबा के नाम पर एक रूपये म कंप्यूटर शिक्षा देने का दावा करने के बाद राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में करोडो रूपये इकट्टठा कर शिक्षा देने वाली कंप्यूटर कंपनी चंपत हो गई। मजेदार बात यह है कि इस कंप्यूटर शिक्षा को लेकर राज्य के बडे-बडे नेताओं ने पायलट बाबा का साथ देकर इसे जोरशोर से प्रसारित किया गया जिसके बाद आईकावा इंटरनेशनल कंप्यूटर कंपनी के साथ करार होने के बाद एक रूपये में कंप्यूटर शिक्षा देने का खेल पूरे देशभर में शुरू किया गया। कुछ महीने कंप्यूटर का खेल चलने के बाद आईकावा इंटरनेशनल एजूकेशन ने कंप्यूटर सेंटर की फ्रेंचाइजी खोलने के लिये जमानत राशि के रूप में ५० हजार रूपये जमा कराए। लिखित समझौते के आधर पर आठ कंप्यूटरों वाला सेंटर खोलने के बाद एक रूपये में कंप्यूटर शिक्षा दी जानी थी। इसके साथ ही फ्रेंचाइजी खोलने वाले लोगों को यह भी कहा गया था कि सौ छात्रों को प्रवेश देने के बाद ५० हजार की धनराशि अनुदान के रूप में दी जाएगी।
देशभर में ७ हजार से अधिक कंप्यूटर केंद्र खुलवा कर वर्ष २००८ में कंप्यूटर संस्थानों की शुरूआत की गई। जूना अखाडे के महामंडलेश्वर पायलट बाबा इस संस्था के अध्यक्ष थे अ ौर उनकी जापानी शिष्या आईकावा संस्था की उपाध्यक्ष बनाई गई थी और संस्था के चेयमैन पद पर हिमांशु राय और प्रबंध निदेशक इशरत खान को बनाया गया था। संस्था ने उत्तराखंड सहित देश के कई राज्यों में आईटी संस्थान खोलने के लिये विज्ञापन के माध्यम से ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित किया और उत्तरकाशी में फिल्म अभिनेत्री व सांसद हेमा मालिनी के साथ-साथ राज्य के कई भाजपा नेताओं को भी बुलाया गया था। बाबा के कार्यक्रम में शामिल होकर सभी नेताओं ने इसका प्रचार-प्रसार पुरजोर तरीके से किया लेकिन जमा की गई करोडो रूपये की धनराशि आज तक फ्रेंचाइजी खोलने वाले लोगों को नहीं मिल पाई है।
देहरादून के अखिलेश अग्रवाल सहित कई संचालक अभी भी अपनी धनराशि को लेकर बाबा के आश्रमों के चक्कर काटते नजर आ रहे हैं लेकिन कंप्यूटर के नाम पर लिये गये पैसों को वापस तक नहीं किया जा रहा। इतना ही नहीं पुलिस में की गई शिकायत को लेकर भी कोई कार्रवाई आज तक आगे नहीं बढ सकी है जिसने यह सवाल खडे कर दिये हैं कि कंप्यूटर शिक्षा दिलाने के नाम पर बाबा ने ऊंची पहुंच दिखाते हुए करोडो के वारे-न्यारे कर लिये हैं। जबकि पायलट बाबा का इस बारे में साफ कहना है कि उन्होंने सेंटर संचालकों से कह दिया था कि उनका आईकावा इंटर नेशनल एजूकेशन से कोई लेना-देना नहीं है जबकि सेंटर संचालकों को ४०-४० हजार के दिये गये चैक भी बाउंस हो चुके हैं। और अब इशरत खान को हटाकर उत्तरकाशी आश्रम के मैनेजर अमरीश मिश्रा को नियुक्त किया गया है।
वहीं दूसरी ओर कुंभ नगरी मे हुए हादसे को लेकर भी अभी तक ऊंची पहुंच का फायदा उठाकर बाबा के खिलाफ कोई कडी कार्रवाई नहीं की गई है जबकि इस हादसे ने कई बेगुनाहो की जान ली है। कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने सिर्फ पायलट बाबा के चालक के खिलाफ मुकदमा कर उसे गिरफ्तार किया है और पायलट बाबा को जांच के घेरे में लिया गया है।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा के एक बडे नेता के साथ-साथ ऊंची पहुंच रखने के कारण बाबा पर कार्रवाई करने में पुलिस कतरा रही है। यहां तक कि हादसे के दौरान उत्तराखंड के एक भाजपा नेता की गाडी भी घटना स्थल पर मौजूद थी। लेकिन इसके बाद भी पायलट बाबा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। बेरोजगारों को सब्जबाग दिखाने का जो खेल बाबा ने सेंटर खोलने के नाम पर खेला उसने कहीं न कहीं देशभर के बेराजगारों की मंशा को छलने का प्रयास किया है। अब देखना यह होगा कि क्या पायलट बाबा के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत पुलिस प्रशासन जुटा पाता है या नहीं जबकि उत्तरकाशी में जमीन कब्जाने को लेकर भी पायलट बाबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
22.4.10
पायलट बाबा के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं?
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1 comment:
ये हिन्दुस्तान हैं भाई
यहाँ कुछ भी हो सकता हैं
रही बात कारवाही कि तो वो तो गरीब लोगो पे होती हैं जिनकी कोई पहुँच नही होती
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