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15.4.10

आखिर, पानी को बोलना ही पड़ा !!

प्यारे दोस्तों,

जम के पीजिये. मस्त रहिये. इस गरमी को मात देने में बस मैं ही आपकी मदद कर सकता हूं. लेकिन इसके लिये आपको मेरी बात सुननी पड़ेगी. इसे गुहार कहिये, फ़रियाद कहिये, गिला कहिये... या फिर सलाह कहिये.
 
अगर आपलोगों ने अपने इस दोस्त को अब तक नहीं पहचाना है तो हम आपको बता दें कि हम वही हैं जिसके बगैर आप ज़िन्दगी रूक सी जाती है, ठहर सी जाती है. हमारे बिना आप सुबह-सुबह फ्रेश नहीं हो सकते. सुबह में ब्रेकफास्ट, दोपहर में लंच और रात में डिनर के टाईम भी आपको मेरी जरुरत  होती है और अगर खाने में मिर्च ज्यादा तेज हो गई हो तब तो बगैर हमारे काम ही नहीं चल सकता. 

मुझे लगता है कि इतना काफ़ी था. अब आप ये समझ गए होंगे कि मैं कौन हूं?  अगर आप में से कुछ लोग अब भी अपना सर खुजला रहे हैं  और यह सोच रहे हैं कि मैं कौन हूं तो उअनके लिए बता दूं- मैं पानी, जल या वाटर जो कहिए वही हूं. 

1 comment:

SANJEEV RANA said...

pani ki ahmiyat ko koi nazarandaj kar sakta h
kam se kam wo to nhi jo pyasa raha ho