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28.8.10

चुनाव


चुनाव

जनतंत्र में चुनाव पर सरकार बनती है जहाँ ,
पुरे वयस्क मिलकर ही प्रतिनिधि चुनते है यहाँ,
पर देश में चुनाव अब क्या की
खो रहा ,
जातीयता,लाठी और पैसो पर अगर वो हो रहा!

हम धार्मिक उन्माद भी उस वक़्त है उभारते,
किसी रूप में मत ले सके नेता ऐसे है निहारते,
हाथ जोड़ते और गिरगिराते है वे सबके सामने,
क्या ला सकेंगे राज्य एषा जैसे लाया राम ने !

बूथ कब्ज़ा आज की राजनीती का एक खेल है,
इस महानिति के सन्मुख नीतिया सब फेल है,
चुनाव में कानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही,
हर बूथ पर धन की यहाँ धरा बहाई जा रही

मतदान केन्द्रों के गठन की निति भी बेजोड़ है,
ऐसे गठन में सरकार और बाहुबलियों के गठजोड़ है,
शासकदलो की निति में निश्चित ही कोई खोट है ,
उदेश्य उनका मात्र लेना शत-प्रतिसत वोट है !

पहले के अपराधी सदा ही पुलिस से छिपते रहे,
पर आज वे नेता के संग गाड़ी में है जो दिख रहे,
विष-वृक्ष फलता -फूलता सन्मुख खड़ा है आज जो,
विध्वंश को लाकर करेगा समाज को बर्बाद वो!
प्रदीप्त मिश्र
9334864231

1 comment:

Anonymous said...

very nice one.
best describing today's reality of election...........
waiting for some more PRADEEPT