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19.8.10

आँखों पर डायबिटीज की कुदृष्टि

आँखों पर डायबिटीज की कुदृष्टि



The eyes are the mirror of the soul. Take care of your eyes with gentleness.

             Aishwarya.       

 

आँखें हमारे शरीर का सबसे आवश्यक अंग है। आँखें नहीं तो जीवन में  कुछ भी नहीं  है। आँखें नहीं तो जिंदगी व्यर्थ हो जाती है, फ्यूज हो जाती है। आँखों पर हमारे कवियों, शायरों और साहित्यकारों ने आँखो के बारे बहुत कुछ लिखा है, जैसे ये गीत


  


         

 

 

 

इसलिए डायबिटीज के रोगियों को अपनी आँखों की देखभाल में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिये क्योंकि  मधुमेह के अन्धेपन या दृष्टि-दोष का मुख्य कारण है, आँखों पर मधुमेह का दुष्प्रभाव जिसे डायबिटिक रेटीनोपैथी कहते है। टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों में करीब 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में रेटीनोपैथी पाई जाती है।

 

 

इसे जानना अति आवश्यक इसलिए है कि मधुमेह के कड़े नियंत्रण द्वारा रेटीनोपैथी को रोका जा सकता है और यदि सही समय पर जाँच करके रेटीनोपैथी का निदान हो जाये तो इसका इलाज संभव है यानी अन्धेपन को रोका जा सकता है। 

 

 मधुमेह के रोगी को लम्बी अवधी तक रक्त शर्करा ज्यादा रहे और उपचार भी लिया जाये तो दृष्टिपटल दोष या रेटीनोपैथी नामक रोग हो जाता है जो आगे चलकर रोगी में अन्धापन लाता है। रक्त में ग्लूकोज ज्यादा होने से दृष्टिपटल या रेटीना की रक्त वाहिकाएँ केशिकाऐं क्षतिग्रस्त हो जाती है और जिससे रेटीना को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है।

 

रेटीना आँख के पिछले हिस्से में प्रकाश के प्रति संवेदनशील एक पर्दा होता है। जो दृष्य हम देख रहे हैं, उसका प्रतिबिम्ब आँखों के रेटीना पर बनता है। रेटीना इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर ओप्टिक नर्व द्वारा मस्तिष्क के विजुवल कोर्टेक्स को भेजती है। मस्तिष्क दोनों आँखों से प्राप्त हुए संकेतों को मिलाकर एक त्रि-आयामी प्रतिबिम्ब तैयार करती है। यह त्रि-आयामी प्रतिबिम्ब ही हमें किसी भी वस्तु की दूरी या गहराई का अनुभव करवाता है। बिना रेटीना के हमारी ऑखे मस्तिष्क से सम्पर्क और समन्वय नहीं कर सकती यानी रेटीना के बिना किसी भी चीज को देखना असंभव है।

 

डायबिटिक रेटीनोपैथी भी आरंभिक अवस्था जिसे पृष्ठभूमि रेटीनोपैथी कहते है, में रेटीना की रक्त वाहिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती है। जिसके कारण वाहिकाओं से तरल दृव्य का रिसाव होने लगता है। जिससे दृष्टि में धुंधलापन जाता है। आगे चलकर प्रोलिफरेटिव रेटीनोपैथी हो जाती है  जिसमें रेटीना और कभी-कभी आँख के अन्य हिस्सों में नई असामान्य   रक्त वाहिकाऐं बन जाती है। यदि ये वाहिकाऐं आँख के केन्द्र में  मौजूद स्पष्ट दृव्य (Vitreous Humor) में खून स्रावित करने लगती है तो प्रकाश रेटीना तक नहीं पहुँच पाता है और देखने वाले को कभी-कभी धुंधला नजर आता है। यदि खून धीरे-धीरे अवशोषित हो जाए तो नजर फिर से सामान्य हो सकती है। लेकिन यदि खून का बहना जारी रहता है तो नजर तब तक धुंधली बनी रहती है जब तक कि समस्या का इलाज हो जाए। रेटीनोपैथी के बढ़ने में उच्च रक्तचाप एवं मूत्र में अल्ब्यूमिन विसर्जित होने का भी बड़ा हाथ होता है।

 

यदि उपचार किया जाये तो रेटीना के पीछे बनी नई रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने और नये ऊत्तक बनने के फलस्वरुप रेटीना आँख  के पिछले सिरे अलग हो जाती है, इसे रेटीनल डिटेचमेंट कहते हैं। यदि रेटीनल डिटेचमेंट का समय पर उपचार किया जाये तो रोगी हमेशा के लिए अंधा हो जाता है।

 

रेटीनोपैथी के कारण मेक्यूला, जो रेटीना का वो मध्य भाग है जो हमारे पढ़ने की दृष्टि को नियंत्रित करता है, में तरल दृव्य के रिसाव के कारण सूजन जाती है जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है।

 

डायबिटीक रेटीनोपैथी के लक्षण

·        आरम्भिक अवस्था में सामान्यतः कोई लक्षण नहीं होते।

·        कभी-कभी पढ़ते या कार चलाते समय केन्दि्रय दृष्टि का ह्रास होता है, रंग पहचानने में परेशानी होती है और नजर में धुंधलापन जाता है। रक्त वाहिकाओं से रक्त स्त्राव होने के कारण कभी-कभी दृष्टि में छोटे धब्बे या तैरते हुए कण दिखाई देते है जो कुछ हफ्तों या महीनों में ठीक भी हो जाते है। संपूर्ण अन्धापन। 

 

रेटीनोपैथी का निदान  

 

जब आप अपनी आँखों की जाँच के लिए नैत्र चिकित्सक के पास जायेंगे तो वह अनेक विधियों में से किसी एक के माध्यम से आपके रेटीना की जाँच करेगा। वह आपकी आँखों में दवा डालकर आँखों की पुतली का विस्तारण करेगा और ऑफ्थेल्मोस्कोप से आपके रेटीना की जाँच करेगा।  इसमें से प्रकाश की एक किरण आपकी आँख में डाली जाती है ताकि आँख के पीछे मौजूद रेटीना को अच्छी तरह देखा जा सके। नैत्र चिकित्सक एक स्लिट लैम्प माइक्रोस्कोप नामक उपकरण द्वारा भी आँख के अन्दरूनी हिस्से को बड़ा करके देख सकता है।

 

अगर रेटिना में कोई गड़बड़ लगती है तो डाक्टर आपकी आंख का लोरिसिन एंजियोग्राम करना चाहेंगे। लोरिसिन नामक एक डाई को आपकी बाजू में इंजैक्ट कर दिया जाता है जिसे आपके आंखों तक पहुंचने में कुछ ही सैकेंड लगते हैं। तकनीशियन आपके रेटिना की कई तस्वीरें लेते हैं। इन तस्वीरों से पता चलता है कि आपकी आंखों में कोई लीकेज या असामान्य रक्त वाहिकाएं मौजूद तो नही है। आपके डाक्टर को ये सही-सही मालूम होगा कि रेटिना के किन हिस्सों का इलाज किए जाने की जरूरत है। जब एक बार रिसाव वाली इन जगहों या नई रक्त वाहिकाओं का सही-सही पता चल जाता है तो इन्हें लेजर के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। इससे नजर जाने का खतरा नहीं रहता।

 

उपचार

 

रेटीनोपैथी का उपचार लेजर फोटो को-एगूलेशन द्वारा किया जाता है। याद रखें समय पर किया गया उपचार आपको अन्धेपन से बचा सकता है। लेजर उपचार से 90 प्रतिशत लोगों को अभूतपुर्व फायदा होता है। इसलिए समय-समय पर आँखों की जाँच करवाते रहें।

 

आजकल ग्रीन लेजर का प्रयोग ज्यादा हो रहा है, यह अत्याधुनिक एवं दर्द रहित उपचार है, लेकिन यदि रोगी को मोतियाबिन्द हो तो ग्रीन लेजर द्वारा उपचार संभव नहीं है।

 

रेड लेजर द्वारा उपचार मोतियाबिन्द के रोगियों में भी किया जा सकता है। इसमें रोगी को बेहोश किया जाता है।

मधुमेह के का लेंस मरीजों में ब्लड शुगर के घटते-बढ़ते रहने के कारण आँख कभी फूल जाता है और कभी सिकुड़ जाता है और आँखों के सामने धुँधलापन छा जाता है। कभी-कभी इन्सुलिन चिकित्सा शुरू करने पर भी ऐसा होता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है अतः डरने की जरूरत नहीं है। यह एक क्षणिक बात है और इससे ऑखो को कोई नुकसान नहीं पहुँचता।

 

बचाव के मुख्य उपाय

·        मधुमेह के रोगी को हर 6 महिने में नैत्र विशेषज्ञ से आँखों की जाँच करवानी चाहिए।

·        मधुमेह का कठोर नियंत्रण।

·        रक्त चाप का नियंत्रण।

·        मूत्र में एलब्यूमिन की जाँच।

·        लिपिड प्रोफाइल कराकर उपयुक्त दवा लें।

·        ओमेगा-3 फैट युक्त भोजन खांये जैसे अलसी या मछली।

·        एन्टीऑक्सीडेन्टस का उपयोग करें।

·        उचित व्यायाम करें।

·        खूब सब्जियां, ताजे फल और अंकुरित अन्नों का सेवन करें।

 

 

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