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20.8.10

उत्तराखण्ड़ में आईएएस अधिकारियों की लड़ाई

अधिकारियों की लड़ाई में प्रभावित हो रहे विकास कार्य
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, । उत्तराखण्ड़ में आईएएस अधिकारियों की लड़ाई ने पूरे देश में प्रदेश की छवि धूमिल करके रख दी है। प्रदेश में अधिकारियों की इस जंग को मुख्य सचिव की कुर्सी पाने के होड़ के नजरिये से देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बीते दिन प्रदेश के दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भिडे तो सिंचाई विभाग की बैठक को लेकर लेकिन इसके पीछे दोनों ही अधिकारियों का अलग-अलग गुटों से सम्बंद्ध होना बताया जा रहा है। जहां तक प्रमुख सचिव पी.सी. शर्मा की बात की जाये तो उन्हें सुभाष कुमार के गुट से जोड कर देखा जाता है जबकि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अजय जोशी स्वयं मुख्य सचिव की दौड में शामिल है। मुख्य सचिव की कुर्सी की दौड में सुभाष कुमार के अलावा एस.के. मटटू भी शामिल है। चर्चाओं के अनुसार प्रदेश सरकार सुभाष कुमार को मुख्य सचिव की कुर्सी सौंपना चाहती है क्योंकि वर्तमान मुख्य सचिव नृप सिंह नपलच्याल छ: महीने के सेवा काल विस्तार के बाद मुख्य सचिव की कुर्सी पर जमे है। जहां तक अजय जोशी की बात की जाये तो राज्य बनने के तुरंत बाद इन्हें उत्तराखण्ड काडर आवंटित हुआ था। तत्कालीन समय में इन्होंने मामला कैग में दर्ज कराया और उत्तराखण्ड में अपनी सेवा देने से मना कर दिया। यह वह समय था जब प्रदेश को वरिष्ठ एवं अनुभवी अधिकारियों की जरूरत थी ऐसे समय पर उत्तराखण्ड में न आने को लेकर भी अधिकारियों और सरकार में अजय जोशी के प्रति नाराजगी है। इधर बीते वर्ष अजय जोशी जब वरिष्ठता की सूची में शामिल हो गये और उन्हें उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव की कुर्सी बहुत दूर नजर आयी तो उनके दिल में अचानक उत्तराखण्ड के लिये प्यार पींगे बढाने लगा और वे उत्तराखण्ड में सेवा करने के लिये आ गये। इसके पीछे की कहानी तो यही है कि उन्हें उत्तराखण्ड में मुख्य सचिव की कुर्सी ज्यादा आसानी से मिलती दिखाई दे रही थी। जबकि मटटू भी कांग्रेस शासन के दौरान केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गये और वह भी उत्तराखण्ड तब आये जब उन्हें यहां मुख्य सचिव की कुर्सी थोड़ी पास नजर आयी। अपने सेवाकाल में चर्चित रहे यह अधिकारी तिवारी सरकार में खासी चर्चा में रहे थे। जबकि वरिष्ठ आईएएस सुभाष कुमार राज्य बनने के पूर्व से लेकर वर्तमान तक राज्य की सेवा में है और उन्हें मृदुभाषी व सर्वथासुलभ अधिकारी के रूप में भी जाना जाता है। वरिष्ठ अधिकारी सुभाष कुमार को मुख्य सचिव की कुर्सी तभी मिल सकती है जब उनसे पूर्व के दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को रास्ते से हटाया जाये। इस कड़ी में प्रदेश सरकार ने बीते कुछ दिन पूर्व नैनीताल प्रशासनिक अकादमी में खाली पड़े महानिदेशक के पद पर अजय जोशी की तैनाती के आदेश किये थे। जिसे उन्होंने मानने से इंकार कर दिया और अब वे पी.सी. शर्मा से झगडे के बाद एक महीने की छुटटी चले गये है। अधिकारियों की कुर्सी की लड़ाई में प्रदेश के विकास कार्यो पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। विश्लेषकों के अनुसार अधिकारियों की यह जंग प्रदेश के भविष्य के लिये कतई ठीक नहीं है। इनका कहना है कि प्रदेश की राज्यपाल द्वारा बार-बार पत्र लिखने के बाद भी यहां तैनात वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं किया है जिसका खामियाजा प्रदेश और प्रदेश की जनता को भुगतना पड रहा है। अधिकारियों की यह जंग इस प्रदेश को कहां ले
जायेगी यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना तय है कि इसके परिणाम न राज्य के लिये ठीक है और न अधिकारियों केलिये।
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