बरेली, जागरण संवाददाता : काम मुश्किल था, लेकिन इरादे भी अटल थे। सही दिशा में पैरवी हुई और बरेली के एतबार से बड़ा नतीजा सामने आ गया। महारजिस्ट्रार की तकनीकी सलाहकार समिति ने किन्नरों को महिला या पुरुष की जगह अलग श्रेणी में रखने की सिफारिश कर दी। अब उनकी पहचान ट्रांसजेंडर के तौर पर होगी। इस बड़ी लड़ाई को जीतने में करीब छह माह लगे। पहली बार बरेली की सरजमीन ने देशभर के किन्नरों के लिए मांग उठी। सिस्फा-इस्फी (सैयद शाह फरजंद अली एजूकेशनल एंड सोशल फाउंडेशन आफ इंडिया) के सचिव डा. एसई हुदा की अगुवाई में कम्पनी गार्डन से कलेक्ट्रेट तक किन्नरों ने अनोखा प्रदर्शन किया। नाच गाकर जनगणना में महिला या पुरुष नहीं, किन्नर लिखे जाने की मांग उठाई। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि को पत्र लिखे गए। राष्ट्रपति भवन से यह मामला समुचित कार्रवाई को योजना आयोग के पास भेज दिया गया। उच्चतम न्यायालय में भी 24 अप्रैल को जनहित याचिका भी दाखिल की गई, जो अभी क्यू में है। इस बीच योजना आयोग ने देश के हर नागरिक को विशिष्ट पहचान संख्या यूआईडी जारी करने के लिए किन्नरों के वास्ते अलग से ट्रांसजेंडर श्रेणी आवंटित की है। अब वे महिला या पुरुष नहीं कहलाएंगे। देश के महारजिस्ट्रार कार्यालय की तकनीकी सलाहकार समिति टीएसी ने देश में जारी जनगणना में किन्नरों की अलग श्रेणी में गिनती करने की सिफारिश की है। टीएसी ने कहा है कि किन्नरों के लिए अन्य के रूप में कोड संख्या 3 का प्रावधान किया जाए। महारजिस्ट्रार कार्यालय ने यह सारी जानकारी जनसूचना अधिकार में मांगे जाने पर उपलब्ध कराई है। अब गेंद सरकार के पाले में है। उसे किन्नरों की अलग श्रेणी में गिनती करने के मुद्दे पर फैसला लेना है। देश में अब तक किन्नरों की गणना पुरुष वर्ग में की जाती रही है।
news by dainik jagran news paper.
date-23/08/2010
24.8.10
बरेली से सधा बड़ा निशाना, रंग लाईं सिस्फा-इस्फी की पहल
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3 comments:
किसी ने कुछ तो किया इनके लिए अब सरकार क्या करती है ?
shukrya bhai.
सम्मान सबका होना उचित है ।
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