बेवस गंगा
कर रही
क्रंदन ,
कराह
रही ,
सूख रही ,
मिट रही .
छली जा रही
गंगा,
कैद हो रही
पहाड़ो में
गंगा,
चीख पुकार
करती गंगा .
धर्म -आस्था
के नाम
पर
ठगी
जाती रही गंगा ,
आज
होती बेवस
गंगा |
19.8.10
बेवस गंगा= पंकज कौशिक, राम विशाल देव 09897464172
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