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28.9.10

ईधर लोग बेहाल उधर पर्यटन विभाग गुलछर्रे उड़ानें में मशगूल



राजेन्द्र जोशी
देहरादून, । जहां एक ओर उश्रराखण्ड अतिवृष्टि की मार झेल रहा है, वहीं उश्रराखण्ड में सैकडों परिवार मौत के मुहाने पर खडे हैं, इतना ही नहीं अतिवृष्टि के चलते प्रदेश भर के लगभग एक सैकडा लोग काल के गाल में समा चुके हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश का पर्यटन विभाग विश्व पर्यटन दिवस आड़ में राजधानी के चार सितारा होटल में गुलछर्रे उड़ा रहा है। इसे राज्य की विभिषिका ही कहा जाएगा की राज्य के आला नेताओं और नौकरशाहों में संवेदना मात्र के लिए भी नहीं रह गई है। उश्रराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक जीवन पटरी पर लौटने के लिए परेशान है। लोगों के आवागमन के साधन तक नेस्तनाबूत हो चुके हैै। उनके आशियाने खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं। कई परिवारों के अपने उनसे बिछड चुके है। लेकिन प्रदेश के हुक्मरानों को इससेे क्या? उन्हें तो सरकारी पैसा ठिकाने लगाने और अपनी मौज मस्ती से ही मतलब है उनकी तरफ से प्रदेश की जनता जाए भाड़ में ठीक यही हाल प्रदेश की अफसर शाही का भी है। हुक्मरानों के फरमानों को राज्य बनने से लेकर आज तक दरकिनार करने वाली राज्य की अफसर शाही को प्रदेश ही निरीह जनता से क्या लेना देना, वे तो देहरादून के आलिशान महलों रहने के आदि हो चुके हैं, देश भर में उश्रराखण्ड ही शायद एक ऐसा राज्य होगा जो हुक्मरानों के कम और नौकरशाही के ज्यादा दबाव में काम करता है इतना ही नहीं यह प्रदेश अफसरशाही के जंजीरो में इस तरह जकड़ चुका है कि अब हुक्मरान खुद इससे बाहर निकलने को छटपटा रहे हैं। प्रदेश में बीते दस दिनों के दौरान हुई भारी बारिश से पूरे प्रदेश की यातायात व्यवस्था जहां चरमरा गई वहीं सैकडों यात्री कई जगह फंस गए उनकी जेब का पैसा भी पूरी तरह खर्च हो गया अब जब बीते तीन दिन से प्रदेश की काफी सडक़ें खुली और यातायात कुछ हद तक सूचारू हुुआ ऐसे में प्रदेश के पर्यटन विभाग को अब यात्रियों के रहने और खाने पीने की चिंता हुई। इसे संवेदनहीनता ही कहा जाएगा जब यात्री दूर दराज के क्षेत्रों में फंसे थे तब प्रदेश के पर्यटन विभाग को इसकी उनकी सुध लेने की नहीं सूझी और अब जब चुनींदा स्थानों पर ही कुछ चुनींदा यात्री फंसे हैं पर्यटन विभाग को ऐसे में उन्हें मुफ्त में रहने खाने की सुविधा देने की घोषणा करना अपने आप में हास्यास्पद है। इधर देहरादून में आज एक चार सितारा होटल में पर्यटन विभाग द्वारा ग्रामीण पर्यटन प्रदर्शनी के उद्घाटन और गोष्ठी के अलावा कई और कायक्रम भी किए गए, लेकिन पर्यटन विभाग राज्य के आपदा के दौरान मारे गए लोगों की याद में एक मिनट का मौन तक रखना उचित नहीं समझा। यह है उश्रराखण्ड के वासियों की चिंता करने वाले अधिकारियों और नेताओं की एक बानगी।

2 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhaai jaan yhi hal he is zmaane kaa , afsron ne bethkon ko bhaana bnaa liya he rupyaa kmaane kaa bhut khub likha he aapne mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

कृष्ण मिश्र said...

सुन्दर आलेख!