अतिथि, आपको बुला रहा भारत में आओ,
खेलो, देखो खेल, हमारे व्यंजन खाओ,
देखो, समझो, परम्पराएं मेरी,
आओ जल्दी करों न अब तुम देरी.
सभ्यता और संस्कृत से खुद जुड़ जाओ
सुन रखा था जैसा, वैसा ही सम्मान भी पाओ
भाई-चारा-बंधुत्व भाव मन लाये हैं
आपके आने में हम अपनी पलक बिछाए हैं
और हम भी सीखेंगे आपकी बोली-भाषा और गीत,
आप आयेंगे हमको याद भले ये पल जायेंगे बीत,
संगम होगा सभ्यता और संस्कारों का
ऊर्जा आयेगी एक-दूसरे के नए विचारों से
और भी बढ़ जायेगी मित्रता खेल के इसी बहाने से
प्यार आपस में होगा आपके आने से....
प्यार आपस में होगा आपके आने से....
प्यार आपस में होगा आपके आने से....
9.9.10
अतिथि, आपको बुला रहा भारत में आओ..खेलो, देखो खेल, हमारे व्यंजन खाओ.
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सत्य वचन
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