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9.9.10

meri Ghazal

ताकता रहा में रातभर इस प्यार की निशानियाँ
गड़ता रहा में रात दिन झूठी मुठी कहानियां

जिद पे अड़ी है आज तो की रख करना है तुझे
केसे संभालूँगा इन्हें ये आग सी जवानियाँ

है दर्द कितना प्यार में क्यों कर तुझे कहना लगा
रब न मिले तो न सही,रब यार है ओ जनियाँ

निखिल

2 comments:

Manish Singh गमेदिल said...

खूबसूरत ग़ज़ल के लिए धन्यवाद्

Nikhil said...

shukriya manish ji