भोर की पहली किरण से ,शाम डूबने तक
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है
हर शब्द तुम्ही से अर्थ रखे ..
तुम बिन दुनिया सब व्यर्थ लगे ,...
तेरा ही तो दिन छाडे ,जो उतारे तेरी रात है
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है
तुझ संग मरना आसानी है .तुम बिन जीना बेमानी है
ये बात न दुनिया समझेगी ..ये सब उसकी नादानी है
क़त्ल हुए , ये चूर हो गए ...कितने ही जज़्बात है
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है
निखिल
im.nikhhil@gmail.com
09648936083
18.9.10
तू ही तू साथ है ...तेरी ही तो बात है (rj nikhil)
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3 comments:
Kaphi acchi post
हर शब्द तुम्ही से अर्थ रखे ..
आपकी रचना के शब्द भी बहुत अर्थपूर्ण और भावप्रधान है।
सुंदर कविता......
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
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