15.10.10
जीवन एक संघर्ष
बहका सा है मन
कैसा है यह आवारापन
दिल है उदास
छाया है गुस्ताखपन
क्या दिल की आवारगी इसी को कहते है?
या फिर यह बहके मन की प्यास है?
क्या यह दुनिया में रहने की आस है ?
या दुनिया से बाहर की कोई नई तलाश है?
यह दुनिया ही है या फिर है उसका अक्स
क्या सच्ची दुनिया इसी का नाम है???
क्यों है यह मन प्यासा?
इस मन में क्यों कोई नई तलाश है?
इसे मन के आवाज कहे या कह दे कोई पुकार?
जाने क्यों यह जानने की फिर से जगी एक प्यास है?
यह सच्चाई क़ि दुनिया है या दुनिया सच्चाई क़ि है?
कोई देगा जवाब दिल को?..आखिर क्यों ऐसी आस है??
क्या यूंही कहा जाता है क़ि जीवन एक संघर्ष है?
या फिर इस सच्चाई के नीचे भी दबा एक राज़ है?
क्या उन्ही ख़त्म हो जायेगी जिन्दगी इस सवालों में????
यकीनन मुझे इन सबके जवाबो का इन्तजार है........
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Labels: जीवन एक संघर्ष
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6 comments:
bahka hai tera man ya kaheen aankh
ladee hai?
kavita kiye ho yaar ya prashnon ki jhadee hai ?
ओमप्रकाश जी.
दिल में दर्द है कितना मै दिखा नहीं सकता.
आग बहुत है इस सीने में.कोई जन नहीं सकता.
है प्रश्नों की झड़ी यह सभी जानते है ..
फिर कोई इन प्रश्नों का उत्तर बता नहीं सकता..
श्रवण शुक्ल
shravan.kumarshukla@gmail.com
९७१६६८७२८३
priya shravanji,
prashnon ke saath prayog bhee karne honge . arjun ko geeta ranakshetra mein hi to mili na .
oppandey26@gmail.com
मगर जब कृष्ण ही न हो तो गीता कौन देगा? रणक्षेत्र में ही हू..शायद आपने पहले के नोट्स नहीं पढ़े..मुझे कृष्ण की भी जरुरत है और जरुरत है द्रोणाचार्य की..वरना सिर्फ्गीता से कुछ नहीं हो रहा..आपने भी एक उपदेश दिया..मैंने सीखा..मगर अमल में लेन के लिए मार्गदर्शक न मिले तो गीता किस काम की पाण्डेय जी?????
बहका सा है मन
कैसा है यह आवारापन
दिल है उदास
छाया है गुस्ताखपन
यही तो ज़िन्दगी है संघर्ष का दूसरा नाम्।
thanx vandana ji....
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