लाखों मुस्लिमों की नुमाइंदगी करने वाले दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम अब्दुल्ला बुखारी लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में एक पत्रकार पर भड़क गए। वह अयोध्या मसले पर पूछे गए सवाल पर तिलमिलाए। जब उर्दू अखबार के पत्रकार मोहम्मद वालिद चिश्ती विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सवाल पूछा। जब सवाल टालने पर भी पत्रकार ने सवाल पुनः दोहराया, तो इमाम साहब तो आपा ही खो बैठे। उन्होंने व समर्थकों ने उसके साथ मारपीट कर दी। बुखारी ने उसे कांग्रेस का एजेंट बता दिया ओर कहा कि तुम जैसे गद्दारों की वजह से मुसलमानों का अपमान हुआ है। अदालत ने संविधान, कानून व इंसाफ के दायरे से बाहर जाकर फैंसला दिया है। उन्होंने शरई नुक्तेनजर से कहा कि इस मसले से बातचीत के जरिए हल निकलने की कोई गुंजाइश नहीं है। हिम्मती पत्रकार ने भी मुकदमा दर्ज करा दिया। बुखारी जी को अब शायद बुखार आ रहा है। सवाल जायज था जिसमें पूछा गया था कि जब वर्ष 1528 के खसरे में अयोध्या की जमीन राजा दशरथ के नाम दर्ज है तो उसके वारिस राजा रामचन्द्र होते हैं। ऐसे में भाईचारा दिखाते हुए यह जमीन हिन्दुओं को क्यों नहीं दे दी जाती? मजेदार बात यह है अयोध्या मसले पर दोनों पक्ष बातचीत कर रहे है ओर सुलह चाहते हैं, लेकिन कुछ धर्म के ठेकेदारों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा उन्हें अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है। यही बुखारी साहब फैसला आने से पहले फैसले को मानने की बात कर रहे थे ओर अब तिलमिला रहे हैं। दूसरों को कोई प्रतिक्रिया न देने की सलाह देने वालों ने ऐसी शर्मनाक प्रतिक्रिया दे दी कि अंदर की भड़ास भी सामने आ गई। पत्रकार चिश्ती बुखारी साहब की नजरों में गद्दार हो सकता है क्योंकि मुसलमान होकर भी उसने एक सही बात की है। अमन, भाईचारे, सुलह की बात करने वाला कभी गद्दार नहीं होता। माफी चाहूंगा बुखारी साहब आपसे इस तरह की बदजुबानी, हमला करने ओर लोकतंत्र के प्रहरियों की गर्दन नापने की धमकी देने की उम्मीद नहीं की जाती। समर्थक चाहे जो करें आपको संयम से काम लेना चाहिए था। अमनपसंद मुसलमान भी शायद ही इस हरकत को पचा पायें। खुदा खैर करे।
15.10.10
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3 comments:
very nice post
ये पोस्ट सत्य का दर्पण है बुखारी और उन जैसे तमाम लोगो के लिए
पत्रकार चिस्ती जी ने अपना पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए और लोगो को हिम्मत दी है .
इस बुखारी को जेल में बंद कर देना चाहिए जहा इस का स्वागत खटमल , डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर करे
गुस्सा भी इस्लाम मैं हराम है , और यह कानून सब पे लागू होता है. पत्रकारों को अदालत के फैसले के बाद ऐसे सवाल भी नहीं पूछने चहिये. जीवन में भूल-चूक कर भी अपनी इन्द्रियों के बहाव में..
जनाब, बुखारी की रोजी-रोटी का क्या होगा | बुखारी (अंगीठी) ठंडी पड़ी हुयी थी एक तो पहले ही कई वर्षों से उन्हें कोई पूछ नहीं रहा था अब अपने भी सवाल पूछने की जुर्रत करने लगे | क्या गुस्सा भी नहीं आएगा ?
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